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आम बजट के जरिए नरेंद्र मोदी ने अर्थशास्त्र से साधी राजनीति

आम बजट के जरिए नरेंद्र मोदी ने अर्थशास्त्र से साधी राजनीति

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विरासत और विकास पर फोकस, पुरानों पर ध्यान, नए समर्थकों का इंतजाम

अखिलेश वाजपेयी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14वें बजट के जरिये अर्थशास्त्र से देश की राजनीति साधते दिख रहे हैं । सरकार ने बीते दस साल में अपने परंपरागत समर्थक बने मतदाताओं गरीबों और किसानों के समर्थन पर दृष्टि बनाए रखते हुए आयकर छूट सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख करते हुए  मध्यम आय वर्ग की बड़ी आबादी को भी संतुष्ट करने का प्रयास किया है । सरकार का यह फैसला न सिर्फ देश के मध्यम आय वर्ग के लगभग 30 प्रतिशत मतदाताओं को राहत देने वाला है बल्कि इस अकेले फैसले से सरकार ने बाजार को भी और ज्यादा गतिमान बनाने का रास्ता खोल दिया है । जिसका देश की अर्थव्यवस्था को भी सीधा लाभ होगा । बिहार को लेकर की गई घोषणाएं  निश्चित रूप से भाजपा की वहां चुनाव के मद्देनजर रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है । इसी तरह आयकर छूट की सीमा में बढ़ोतरी से दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन के ग्राफ में उछाल की उम्मीद भी  की जा सकती है परंतु बजट का निशाना सिर्फ बिहार और दिल्ली तक ही सीमित रहने वाला नहीं है । आयकर छूट की सीमा में बढ़ोतरी  बजट में किसान क्रैडिट कार्ड की सीमा को 3 से बढ़ाकर 5 लाख करने के अलावा महिलाओं, युवाओं और वृद्ध जनों के लिए की गई घोषणाएं भाजपा को देश भर में राजनीतिक बढ़़त दिलाती दिख रही है।

मुसीबतों की भी चिंता

सरकार ने विकास पर फोकस रखते हुए विरासत के एजेंडे को भी दृष्टि से ओझल न होने देकर सरकार ने एक तरह से सनातन संस्कृति के सरोकारों को भी साधे रखने का काम किया है। तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रहे प्रधानमंत्री मोदी का यह पहला पूर्णकालिक बजट था । इसलिए इस बजट के प्रावधानों और घोषणाओं का विश्लेषण करते हुए आभास होता है कि मोदी सहित सरकार के सभी रणनीतिकारों ने तीसरे कार्यकाल में भाजपा को अपने दम पर पूर्ण बहुमत न मिल पाने के कारणों का गहराई से विश्लेषण कर यह बजट तैयार किया है। अपेक्षित सफलता न मिल पाने के कारणों के  विश्लेषण से निकले निष्कर्षों के आधार पर इस बजट को देश को लोगों को सरकार की नीति, नीयत और निर्णयों की प्राथमिकताओं का व्यावहारिक संदेश देने का माध्यम बनाया है। सरकार ने बजट के जरिये यह बताने की कोशिश की है कि मध्यम दर्जे के लोगों का भी उसे ख्याल है। उसके लिए मध्यम आय वर्ग की आबादी सिर्फ करदाता नहीं है बल्कि एक थाती है। अगर वह उनसे कर लेती है तो उसे उसकी मुसीबतों की भी चिंता है ।

अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर ध्यान

आयकर  छूट सीमा में बढ़ोतरी मोदी सरकार की सिर्फ राजनीति साधते नहीं दिख रही है बल्कि इसके व्यापक प्रभाव सरकार के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के स्वप्न को भी पंख लगाते दिख रहे हैं । एक तरफ टैक्स छूट में बढ़ोतरी और दूसरी तरफ कई उपभोक्ता वस्तुओं पर लगने वाले करों में राहत की घोषणा से मध्य आय वर्ग के लोगों की खरीद क्षमता बढ़ने की उम्मीद है । जिससे बाजार में तेजी आएगी । कारोबार बढ़ने से उत्पादन बढ़ेगा । जिसकी खरीद-फरोख्त पर लगने वाले टैक्स न सिर्फ सरकार की आय बढ़ाएंगे बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे । आंकड़ों के लिहाज से देखें तो देश में लगभग 30 प्रतिशत मतदाता मध्यम आयवर्ग से आता है । आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर सरकार ने सीधे इसे साधने का प्रयास किया है । साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से इनके परिवार के सदस्यों का भी समर्थन हासिल करने की पहल की है । अर्थशास्त्री प्रो. ए.पी. तिवारी कहते हैं कि आयकर छूट बढ़ाने के साथ बजट में अति लघु, लघु एवं मध्यम वर्ग के उद्यमियों एवं व्यापारियों के लिए कई राहत की घोषणाएं एवं कागजी बाध्यताओं से छूट एक तरह से मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था के योद्धाओं में उत्साह भरने की रणनीति कही जाए तो अतिश्योक्ति न होगी । निश्चित रूप से इस बजट से देश की अर्थव्यवस्था को ज्यादा मजबूती की उम्मीद की जा सकती है।

किसानों और श्रमिकों पर फोकस

बिहार में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं । बजट में  बिहार के किसानों  और युवाओं को लेकर की गई घोषणाएं बताती हैं कि मोदी सरकार ने भले ही तकनीकी रूप से वहां के लिए किसी पैकज की घोषणा न की हो लेकिन वहां के युवाओं, गरीबों, किसानों, महिलाओं की दुश्वारियों को कम करने का संदेश देने का प्रयास किया है ।  बिहार के मखाना किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वहां “मखाना बोर्ड” बनाने, “फूड टेक्नालॉजी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट” खोलने, दो हवाई अड्डों के विस्तार के साथ “ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट” निर्मित करने, “मिथिलाचंल पश्चिमी कोसी नहर परियोजना” बिहार आईआईटी के विस्तार, वहां छात्रावास का निर्माण एवं सीटों में बढ़ोतरी  जैसी कई घोषणाओं से बिहार के विकास पर केंद्र सरकार के निरंतर फोकस के संदेश को प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है । वहीं,  सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड पर ऋण सीमा को 3 से बढ़ाकर 5 लाख करके ही किसानों को नहीं साधा है बल्कि “प्रधानमंत्री धनधान्य योजना”, “पंचायत स्तर पर किसानों को उनकी उपज के भंडारण की सुविधा, फूलों की खेती को प्रोत्साहन जैसे प्रावधान किसानों के  बीच सरकार की पैठ व पकड़ को मजबूत करने में मददगार होंगे । श्रमिकों व गरीबों के लिए पहले से चल रही योजनाओं पर फोकस जहां इन्हें साधे रखने की भाजपा की फिक्र का प्रमाण है वहीं बजट में डिलीवरी मैन को सामुदायिक और सामाजिक सुरक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए उनका पोर्टल तैयार करके इन्हें बीमा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा देने की घोषणा सत्तारूढ़ दल भाजपा को देश के युवा वर्ग के समर्थन में बढ़ोतरी का रास्ता खोलने वाली है।

एजेंडे को धार, सरोकारों को विस्तार

सरकार ने बजट में आध्यात्मिक एवं धार्मिक पर्यटन की नीतियों को विस्तार देने के साथ जिस तरह महिला, दलित, आदिवासियों के सरोकारों को सम्मान पर फोकस बढ़ाया । “ज्ञान भारतम् मिशन” की घोषणा के जरिये प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण, प्रलेखन  को प्रोत्साहन निश्चित रूप से सरकार के विकास के साथ विरासत के एजेंडे को विस्तार देता दिख रहा है । बजट में मछुवारों से लेकर महिलाओं के लिए पुरानी घोषणाओं में धनराशि बढ़ाना और कुछ नई घोषणाएं सरकार के कोर वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा ही दिखती हैं । यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि तमाम विश्लेषणों से यह तथ्य उजागर होता रहा है कि भाजपा के समर्थक मतों में महिलाओं की बड़ी भागीदारी रहती है । शायद इसीलिए दलित महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने के संकल्प के साथ बजट में इन्हें अपना काम शुरू करने के लिए सरलता से वित्तीय मदद उपलब्ध कराने का ऐलान किया गया है । जिससे महिलाओं के समर्थन न सिर्फ बना रहे बल्कि बढने के रास्ते भी खुले रहें । वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी कई राहत देने की घोषणा कर सरकार ने आर्थिक उपायों से भाजपा की राजनीतिक इमारत को ज्यादा ऊंचाई देने की कोशिश की है।

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