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मंदिर की रक्षा के लिए औरंगजेब की सेना पर टूट पड़ी मधुमक्खियां की सेना, इसके बाद…

मंदिर की रक्षा के लिए औरंगजेब की सेना पर टूट पड़ी मधुमक्खियां की सेना, इसके बाद…

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New Delhi news: भारत में धर्म और आस्था के अनगिनत केंद्र हैं। सभी केंदों की स्थानीय स्तर पर ही नहीं, उसके बाहर भी मान्यता है। लोग बाहर से भी वहां मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन करने जाते हैं। अवसर विशेष पर वहां मिले भी लगते हैं, जो हमारी संस्कृत पहचान की एक इमारत लिखते हैं। सामान्य रूप से यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हम उत्तर प्रदेश के बनारस को मंदिरों का शहर मानते हैं लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान के कई शहरों में ऐसे ऐसे मंदिर है जिनकी चर्चा विश्व स्तर पर होती है। ऐसे ही मंदिरों में शेखावाटी क्षेत्र के सीकर जिले में स्थित जीण माता का मंदिर है।

यह मंदिर न सिर्फ खूबसूरत जंगल के बीच बना है, बल्कि तीन छोटी पहाड़ियों के बीच भी स्थित है। देश के प्राचीन शक्तिपीठों में से एक जीण माता मंदिर दक्षिणमुखी है। कहा जाता है कि इस मंदिर को नष्ट करने के लिए औरंगजेब की सेना ने आक्रमण किया था। इसके बाद जो हुआ, उसे जानने के लिए लिए आगे पढ़िए।

शाही खानदान में हुआ था जन्म

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जीण माता का जन्म राजस्थान के चुरू के घांघू गांव के एक शाही परिवार में हुआ था। उन्हें मां शक्ति का अवतार माना जाता है। उनके बड़े भाई हर्ष को भगवान शिव का अवतार कहा जाता है। कथाओं के अनुसार एक बार दोनों भाई-बहनों के बीच विवाद हो गया और माता इसी स्थान पर आकर तपस्या करने लगीं।

जब भाई ने भी शुरू कर दी तपस्या

ऐसा कहा जाता है कि अपनी बहन की हार से चिंतित भाई हर्ष भी उसके पीछे-पीछे यहां पहुंच गया। उसने अपनी बहन को समझाने की पूरी कोशिश की। उसे निराशा हाथ लगी। इसके बाद उन्होंने भी पास के एक स्थान पर तपस्या शुरू कर दी। इस स्थान पर अपरावली की पहाड़ियों के बीच हर्षनाथ का मंदिर है। इतिहास के अनुसार, जब मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना ने शेखावाटी के मंदिरों को तोड़ना शुरू किया तो लोगों ने माता जीणमाता से प्रार्थना की।

औरंगजेब ने मांगी माता से माफी

अचानक एक चमत्कार हुआ। कहा जाता है कि मधुमक्खियों की एक विशाल सेना मां ने औरंगजेब की सेना पर छोड़ दी। ऐसा माना जाता है कि जब औरंगजेब के सैनिक लहूलुहान होकर भाग गए तो औरंगजेब ने माता से माफी मांगी। मंदिर में अखंड दीपक के लिए तेल भेजने का वादा किया। इसके बाद दीपक के लिए तेल की व्यवस्था दिल्ली और फिर जयपुर से होती रही। इस चमत्कार के बाद जीण माता को भंवरों की देवी कहा जाने लगा।

दीवारों पर तांत्रिकों की मूर्तियां

इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां नवरात्र के समय बहुत बड़ा मेला लगता है। शेखावाटी क्षेत्र में सीकर-जयपुर मार्ग पर जीणमाता गांव में मां का अति प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर की दीवारों पर तांत्रिकों की मूर्तियां हैं। इससे पता चलता है कि यह तांत्रिकों की साधना का केंद्र रहा होगा। मंदिर के अंदर जैन भगवती की अष्टकोणीय मूर्ति है। पर्वत के नीचे बने मंडप को गुफा कहा जाता है।

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