Dharm-adhyatm, Mauni amavasya : भारतीय परंपरा में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व ज्योतिष विज्ञान के जानकार बताते हैं। यह दिन जीवन को पवित्रता से सजाने और संवारने के लिए खास महत्व रखता है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के संगम में यानी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर पवित्र स्नान का पुण्य फल अमूल्य होता है। इस बार 12 वर्षों के उपरांत संपूर्ण महासंगम की स्थिति बनी है और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, कल से ही वहां श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आज 10 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर पुण्य लाभ कमाएंगे।
आज देवों और पितरों का भी संगम
जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट है कि मौनी शब्द मौन से उत्पन्न हुआ है। इस दिन मौन रहकर व्रत रखने का शुभ फल होता है। धर्म-अध्यात्म की दृष्टि से मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत धारण कर मन को संयमित करके काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि से दूर रखना चाहिए। देवलोक से सभी देवता प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। इस दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं। इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है।
अमृत योग के दिन और कुंभ पर्व
प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान, मौनी अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण स्नान दिवस में से एक है, और इसे अमृत योग के दिन और कुंभ पर्व के दिन के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन जैन संप्रदाय के प्रथम तीर्थंकार ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था। संगम के पवित्र जल में स्नान किया था।
तांत्रिक क्रियाएं और शक्ति साधना
देवी भागवत में बताया गया है कि वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।