New Delhi news : भारतीय समाज ऐसा है कि किसी व्यक्ति को किस रूप में पहचान दिला दे, इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। आज मेरठ के भाजपा सांसद अरुण गोविल 1987 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में बने रामायण सीरियल के राम बने थे। जैसा कि कहा जाता है, रामानंद सागर को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही रामायण सीरियल शुरू करने को कहा था।
‘राम’ ने ही दिलाई सफलता
बताया जाता है कि जब रामानंद सागर ने रामायण सीरियल शुरू किया था तो सभी पात्रों के लिए अलग-अलग अभिनेताओं का ऑडिशन टेस्ट ले रहे थे। राम का रोल निभाने के लिए उनको उपयुक्त अभिनेता की जरूरत थी। उसे समय अरुण गोविल यह रोल निभाने के लिए उनके पास गए थे, लेकिन शुरू में रामानंद सागर ने मना किया था। अरुण गोविल ने खुद बताया है कि जब उन्हें कोई उपयुक्त अभिनेता राम का रोल निभाने के लिए नहीं मिला तो अंत में उन्होंने मेरा चयन कर लिया। सभी जानते हैं कि राम का रोल निभाने वाले अरुण गोविल की जो पहचान उस वक्त बनी, वही उनकी असली पहचान हो गई। 87 के पहले एक दो फिल्मों में उन्होंने रोल किया, लेकिन उसका कोई खास लाभ नहीं मिला। आज वह अपने जीवन के साथ बसंत पर कर चुके हैं लेकिन इनकी पहचान आज भी राम का रोल निभाने के रूप में सर्वमान्य। बताया जाता है कि काफी मेहनत और संघर्ष के बाद साल 1977 में अरुण गोविल को पहली फिल्म ‘पहेली’ मिली। फिर अभिनेता ने साल 1979 में ‘सांच को आंच नहीं’, साल 1979 में ‘सावन को आने दो’ जैसी फिल्मों में काम किया। लेकिन, उन्हें सफलता नहीं मिली थी।
संविधान बदलने की बात
राजनीतिक रूप से शायद कम लोगों को यह याद हो कि 1988 में इलाहाबाद में जो लोकसभा का उपचुनाव हुआ था उसे समय अरुण गोविल कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे थे। विश्वनाथ प्रताप सिंह के खिलाफ प्रचार के लिए कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा था। उसे समय विश्वनाथ प्रताप सिंह ने एक बार कहा था की कुछ लोग रोल राम का निभाते हैं लेकिन कम रावण का करते हैं। आज वह भाजपा के सांसद हैं और कांग्रेस के कट्टर विरोधी। यहां तक कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को 400 सीटें मिलने की बात करते हुए संविधान को बदल देने का दावा भी करते नजर आए थे।