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लाख कोशिश कर लीजिए, पराली जलाने के मामले में चकमा का कोई जवाब नहीं…

लाख कोशिश कर लीजिए, पराली जलाने के मामले में चकमा का कोई जवाब नहीं…

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New Delhi news : देश की राजधानी दिल्ली प्रदूषण की गंभीर मार्ग झेल रही है। इसमें आसपास के राज्यों द्वारा पराली जलाने का काम एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। इसे रोकने के लिए बहुत प्रयास किए गए, लेकिन आंशिक सफलता ही मिली। ऐसा बताया गया कि बाद में पराली जलाने के काम में कमी आई और इससे प्रदूषण पर सकारात्मक असर पड़ा। इस संबंध में डाटा भी जारी किया गया था। नासा की सेटेलाइट द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में खेतों में आग लगने की संख्या नाटकीय रूप से कम हो गई है। 2021 में लगभग 79,000 से घटकर 2023 में लगभग 32,000 हो गई है। 10 नवंबर तक, पंजाब राज्य में किसानों द्वारा पराली जलाने की सिर्फ 6,611 घटना दर्ज की गई है, जो कि 32000 से कम है।

इस तरह किया जाता है सुनियोजित प्रयास

अब विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि पराली जलाने में गिरावट दिखाने वाला डेटा भ्रामक हो सकता है और किसान आग की घटनाओं की निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सैटेलाइट को धोखा दे सकते हैं। एक मीडिया हाउस की विशेष रिपोर्ट से यह जानकारी मिल रही है कि किसान सैटेलाइट सर्विलांस से बचने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने के समय में बदलाव, पहचान से बचने के लिए किसानों द्वारा किया गया एक सुनियोजित प्रयास हो सकता है। नासा से जुड़े वैज्ञानिक हिरेन जेठवा ने कहा कि यह सच नहीं है कि पंजाब और हरियाणा में खेतों में आग लगने की घटनाएं कम हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह पंजाब में खेत में आग लगने की घटनाएं अकेले 7000 का आंकड़ा पार कर गईं और 400 नए मामले सामने आए।

वैज्ञानिक उठा रहे सवाल

यह सामने आया है कि पंजाब राज्य में किसान कथित तौर पर उपग्रह निगरानी से बचने के लिए चतुर रणनीतियों का उपयोग कर रहे हैं ताकि यह दर्शाया जा सके कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हो रही हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 71% की कमी लाने के लिए पंजाब की प्रशंसा की। वैज्ञानिक सवाल कर रहे हैं कि क्या आग की घटनाओं में बताई गई गिरावट जमीनी हकीकत को पर्याप्त रूप से दर्शाती है।

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