New Delhi news: रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर पहाड़ों की चोटी के बीच बसा हुआ प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर 1000 साल पुराना है और शिवजी को समर्पित है। समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था। यह मंदिर बहुत ही सुन्दर वास्तुकला से निर्मित है। इसके आसपास अनेक मंदिर हैं, जो बहुत ही अद्भुत है। बरसात के दिनों में इस मंदिर से शिवजी की मूर्ति को हटा कर तुंगनाथ मंदिर चोपता में स्थापित किया जाता है। बरसात समाप्त होने पर पुनः ढोल और बाजों के साथ तुंगनाथ मंदिर में शिवजी की मूर्ति स्थापित कर दी जाती है।
तुंगनाथ मंदिर का इतिहास
तुंगनाथ मंदिर का इतिहास पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह माना जाता है कि पांडवों ने कुरुक्षेत्र युद्ध में अपने चचेरे भाइयों की हत्या करने के बाद भगवान शिव को खोजने के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी। भगवान शिव सभी मौतों से नाराज़ थे, इसलिए वह पांडवों से बचना चाहते थे। इसके परिणामस्वरूप वह एक बैल के रूप में बदल गये थे और उनके शरीर के सभी अंग अलग-अलग जगहों पर बिखर गये। उनका कूब केदारनाथ में, तुंगनाथ में बहू, रुद्रनाथ में सिर, मध्यमाश्वर में नाभि और कल्पेश्वर में जटा दिखाई दी। पांडवों द्वारा भगवान शिव की पूजा करने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए इस स्थान पर एक मंदिर तुंगनाथ मंदिर बनाया गया था। मंदिर का नाम तुंग अर्थात शस्त्र और भगवान शिव के प्रतीक ‘नाथ’ के रूप में लिया गया है।
तुंगनाथ मंदिर की संरचना
तुंगनाथ महादेव मंदिर उत्तराखंड की संरचना बहुत ही अद्भुत है। पत्थरों से सजा हुआ यह मंदिर बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है। जैसे ही आप मंदिर के बाहर ऊपर की तरफ देखते हैं, तो आपको तुंगनाथ नाम दिखाई देगा, जो कि आर्च के ऊपर बनाया गया है। मंदिर में प्रवेश करते ही नंदी बाबा की पत्थर की मूर्ति है, जो महादेव की तरफ मुख किये हुए है। मंदिर की छत को पत्थरों से बनाया गया है। सबसे ऊपर लकड़ी का एक गुम्बद है, जिसमें 16 छेद हैं। ऊंची मीनारों से चित्रित इस विशाल मंदिर में भगवान शिव की अनुपम मूर्ति स्थापित है। साथ ही, पांडवों के चित्र भी उपस्थित हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार के दायें गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित है।
तुंगनाथ मंदिर का धार्मिक महत्त्व
तुंगनाथ मंदिर पंच केदार (भगवान शिव को समर्पित पांच मंदिर) का प्रमुख हिस्सा है और पंच केदार यात्रा (केदारनाथ के अलावा) के दौरान जानेवाला पहला मंदिर है। इस यात्रा का हिस्सा बननेवाले चार मंदिर तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर हैं। इन पांच तीर्थ स्थलों में से प्रत्येक का एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। ये सभी एक यात्रा के हिस्से के रूप में आते हैं। यह भी माना जाता है कि यह वह स्थान है, जहां भगवान शिव की भुजाएं प्रकट हुई थीं।
तुंगनाथ मंदिर के दर्शन का समय
तुंगनाथ मंदिर सुबह के 06 बजे से शाम के 07 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है, मंदिर में दर्शन करने के लिए आपको दो से तीन घंटे लग सकते हैं।
तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने का सबसे अच्छा समय
तुंगनाथ मंदिर के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से नवम्बर के बीच का माना जाता हैं, क्योंकि सर्दियों के दौरान बर्फबारी के कारण तुंगनाथ मंदिर और चंद्रशिला दिसम्बर से मार्च तक बर्फ से ढके रहते हैं।
तुंगनाथ मंदिर चोपता कैसे पंहुचा जाये
अगर आपने तुंगनाथ मंदिर की यात्रा करने की योजना बनायी है, तो हम आपको बता दें कि आप फ्लाइट, रेल और सड़क मार्ग में से किसी एक का भी चुनाव करके आसानी से तुंगनाथ मंदिर चोपता पहुंच सकते हैं। अगर आपने तुंगनाथ जाने के लिए हवाई मार्ग का चुनाव किया है, तो हम आपको बता दें कि चोपता के सबसे नजदीक जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून हैं। आप इस हवाई अड्डे के माध्यम से चोपता, ऋषिकेश, रुद्रप्रयाग, और ऊखीमठ के लिए टैक्सी ले सकते हैं। तुंगनाथ पर्यटन स्थल और जॉली ग्रांट हवाई के बीच की दूरी लगभग 227 किलोमीटर हैं।
रेल मार्ग से तुंगनाथ मंदिर कैसे जायें
यदि आपने उत्तराखंड के तुंगनाथ मंदिर की यात्रा की योजना रेलवे मार्ग से जाने की बनायी है, तो बता दें कि सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो कि लगभग 209 किलोमीटर की दूरी पर है। ऋषिकेश से आपको आसानी से बस या टैक्सी मिल जायेंगी, जिनके माध्यम से आप तुंगनाथ मंदिर का सफ़र आराम से तय कर सकते हैं।
कैसे जाये तुंगनाथ मंदिर सड़क मार्ग से
अगर आपने तुंगनाथ मंदिर की यात्रा का प्लान बस से जाने का बनाया है तो हम आपको बता दे की उत्तराखंड सड़क मार्ग के माध्यम से अपने आसपास सभी प्रमुख शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप अपने निजी साधन या राज्य परिवहन के साधनों की मदद से आसानी से तुंगनाथ की यात्रा कर सकते हैं।