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टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड बोले-  वर्टिकल ड्रिलिंग से निकलेगी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की राह

टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड बोले-  वर्टिकल ड्रिलिंग से निकलेगी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों की राह

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National news, National update, New Delhi news, latest National Hindi news, Uttarkashi news, tunnel accident, Himachal news : उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल से 10वें दिन भरोसा और पक्का हो गया। इस सुरंग में फंसी 41 जिन्दगियों को बचाने की मुहिम को धार कैसे दी जायेगी, इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने दी। अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स उम्मीद की किरण लेकर आये हैं। वह खुश हैं और उन्होंने अपनी खुशी का इजहार खुल कर किया है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ घंटे अच्छे रहे और मंगलवार की सुबह वाकई अच्छी है। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ घंटों में हमें जो खबर मिली है, वह निश्चित रूप से शानदार है…उन लोगों के चेहरे देखना बहुत अच्छा है, जिन्हें हम घर लाने जा रहे हैं। हमारे पास उनके लिए भोजन है और उनसे सम्पर्क साधना अब आसान है।

डिक्स ने 10वें दिन की सुबह को शुभ बताया। वजह है मजदूरों तक ड्राई फ्रूट्स के बाद खिचड़ी पहुंची, फिर कैमरा पहुंचा। जिन्हें देखने को पूरा भारत तरस गया था, इसमें वे दिखे। सब कुशल मंगल है। परिवार ने भी कहा कि अब उम्मीद जगी है। डिक्स ने आगे कहा, “हम अलग-अलग मोर्चों से भिड़े हुए हैं। यह एक अच्छी सुबह है। साइट तैयार होने के बाद वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो जायेगी।

एक्सपर्ट रेस्क्यू टीम के काम से प्रसन्न दिखे। बोले- वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए जरूरी है कि वह सटीक हो… और मुझे लगता है कि यहां टीम ने अद्भुत काम किया है। यह शानदार है…वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए दो स्थानों की पहचान की गयी है…विश्वास है कि हम इन लोगों को सकुशल बचा लेंगे। भरोसा रखें, 41 आदमी घर आनेवाले हैं, बिना किसी दिक्कत के और यही हमारा मिशन है।

सिलक्यारा में रेस्क्यू को पहुंचा डीआरडीओ का रोबोट

उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए डीआरडीओ का रोबोट पहुंच चुका है, क्योंकि जिस स्थान से ह्यूम पाइप के लिए श्रमिकों को निकालने के लिए रास्ता बनाया जा रहा, वहां भूस्खलन का भारी खतरा है। इसके लिए एक रोबोट की मांग की गयी है, जिसके लिए आपदा सचिव डाॅ. रणजीत सिन्हा ने रोबोट के लिए प्रयास किया। इसके बाद डीआरडीओ यहां पर रोबोट ले लाया है।

डीआरडीओ ने देश-दुनिया में अपना लोहा मनवाया है

गौरतलब है कि डीआरडीओ भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय का आरएंड डी विंग है, जो अत्यधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत को सशक्त बनाने की दृष्टि के साथ है, जबकि हमारे सशस्त्र बलों को राज्य के साथ देश स्तर पर आधुनिक तकनीक, प्रौद्योगिकी, उपकरणों और तकनीक से लैस करता है। तीनों सेनाओं की निर्धारित आवश्यकताओं के अनुसार हथियार प्रणाली और उपकरण उपलब्ध कराता है।

डीआरडीओ ने आत्मनिर्भरता से देश-दुनिया में अपना लोहा मनवाया है। उसने मिसाइलों की अग्नि और पृथ्वी श्रृंखला जैसे रणनीतिक प्रणालियों और प्लेटफार्मों के सफल स्वदेशी विकास और उत्पादन; हल्के लड़ाकू विमान, तेजस मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, पिनाका वायु रक्षा प्रणाली, आकाश; रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की ; एक विस्तृत श्रृंखला आदि ने भारत की सैन्य ताकत को क्वांटम जम्प दिया है।

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