New Delhi news, Aacharya rajnish, Osho : इस दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई यह है की जन्म ही मृत्यु का प्रमाण पत्र है। जो आया है, सो जाएगा- राजा, रंक फकीर। ऐसा हमारी परंपरा में अक्सर कहा जाता है। बेशक जो आएगा सो तो जाएगा ही, लेकिन आने वाला जो करके गया, वह कभी समाप्त नहीं हो सकता है। हम दुनिया की महान हस्तियों को इसलिए उसके जन्मदिवस और मृत्यु दिवस पर याद कर लेते हैं, क्योंकि उसने अपने जीवन में कुछ ऐसा किया रहता है। भारत की धरती पर जितने विवादास्पद लोगों के नाम हम आज कभी-कभार लिया करते हैं, उनमें आचार्य रजनीश या यूं कहें जो बाद में ओशो बन गए, उन्हें कोई नहीं भूल सकता। ओशो का जीवन यह प्रमाण है कि कोई साधारण से साधारण व्यक्ति जिंदगी को भीतर से ठीक से समझे तो वह शिखर तक पहुंच सकता है।
34 साल पहले हुई थी मौत
आधुनिक हिंदी के कवि रामधारी सिंह दिनकर ने एक जगह कहा है कि शिखर पर चढ़ने की कोशिश तो सभी करते हैं, मगर लाखों में कुछ ही शिखर पर चढ़कर मरते हैं। बेशक आचार्य रजनीश अपने विचार और दर्शन के शिखर पर पहुंचकर पूरी दुनिया में छा गए। आज से 34 साल पहले जिस शख्स का निधन 58 साल की उम्र में हो गया था, आज भी विचारों के धरातल पर बहुत सारे सवालों के जवाब ढूंढने के लिए उपयोगी बना हुआ है। उनकी मौत का कारण विवादास्पद है कहा जाता है कि उन्हें अमेरिका में जहर दिया गया था, जिसके कारण धीरे-धीरे वह मौत की ओर चले गए।
सेक्स की बताई नई थ्योरी
मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में आज से 82 साल पहले आचार्य रजनीश का जन्म हुआ था। वह बचपन से ही अलग स्वभाव के थे। पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था लेकिन वैसे काम करते थे जिसे वर्जित माना जाता था। घर का नाम चंद्र मोहन था। अपने जीवन के करियर को उन्होंने एक लेक्चरर के रूप में प्रारंभ किया, लेकिन पढ़ते-पढ़ते दर्शन के सागर में गोते लगाने लगे और वहीं से प्रारंभ हुआ एक साधारण व्यक्ति के दार्शनिक बनने का प्रोसेस। पहले वह अपना नाम बदलकर आचार्य रजनीश बनते हैं और प्रवचन देना शुरू कर देते हैं। वह दर्शन की गहराइयों में पहुंचकर बाद में ओशो कहलन लगते हैं, जिसका मतलब होता है जीवन के सागर में अपने आप को डुबो देना।
इस तरह बढ़ते गए फॉलोअर्स
जिस शख्स ने ‘संभोग से समाधि कर की ओर’ की बात कही हो उसे कोई अच्छा कैसे मान सकता है। लेकिन धीरे-धीरे उसकी मान्यताओं को मानने वालों की संख्या 100 से 1000 हजार से लाख और लाख से करोड़ तक में पहुंचे गई। वास्तव में इस विवादास्पद व्यक्ति ने ऐसे विषय को स्थापित किया जो भारतीय समाज में वर्जित माना जाता है, लेकिन उसकी सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता है। प्रेम को पवित्र माना जाता है लेकिन ओशो ने पहली बार साबित किया कि वास्तव में सेक्स से प्रेम का प्रारंभ होता है। प्रेम श्रद्धा, भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ते हुए समाधि की स्थिति में पहुंच जाता है। मतलब साफ है कि कोई बड़ा से बड़ा साधु या महात्मा सेक्स की अनुभूति के बिना परम भक्त की स्थिति में नहीं पहुंचता है। अगर ओशो को गहराई से समझना है तो आपको उन्हें पढ़ना होगा। ध्यान योग, प्रथम और अंतिम मुक्ति, मैं मृत्यु सिखाता हूं, प्रेम-पंथ ऐसो कठिन, कृष्ण स्मृति जैसी किताबों को पढ़कर आप ओशो को समझ सकते हैं।