Dehradun news : उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश में सोमवार से यूसीसी लागू हो गया है। मुख्यमंत्री आवास में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसका ऐलान किया। यह कार्यक्रम सीएम आवास के मुख्य सेवक सदन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर सीएम धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में एकरूपता आएगी। राज्य में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार होंगे और दायित्व भी सुनिश्चित हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड स्वतंत्र भारत का पहला राज्य बन चुका है, जहां यह कानून प्रभावी हो गया है।
3 साल पहले किया वादा पूरा किया
उन्होंने ने कहा कि हमने तीन साल पहले जनता से किए गए वादे को पूरा किया। यूसीसी किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ नहीं है। इसका उद्देश्य किसी को टारगेट करना नहीं है। सभी को समान अधिकार देना है। 27 जनवरी का दिन समान नागरिकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
धामी ने कहा कि यूसीसी लागू होने से हलाला, बहुविवाह, तीन तलाक पर पूरी तरह रोक लगेगी। इस दौरान धामी ने समान नागरिक संहिता उत्तराखंड- 2024 को लागू किए जाने पर नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण किया। यह पोर्टल आम जनता के लिए खोल दिया गया है। https://ucc.uk.gov.in पर लॉग इन कर सकते हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है। यूसीसी को धीरे-धीरे अन्य राज्य भी अपनाएंगे। देश की संसद में भी इसका विधेयक जल्द पारित होगा। यूसीसी लागू होने के रूप में जो यह गंगा निकली है, यह सभी को एक करने का काम करेगी। कुछ कम्युनिटी इससे नाराज है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। सभी लोग चाहते हैं कि सभी को समानता का अधिकार मिले। जो हमारी आधी आबादी है, उसे भी देश के अंदर समान अधिकार मिलना चाहिए।
यूनिफॉर्म सिविल कोड को समझें
समान संपत्ति अधिकार : बेटे और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि वह किस कैटेगरी के हैं।
मौत के बाद संपत्ति : अगर किसी व्यक्ति की मौत जाती है, तो यूनिफॉर्म सिविल कोड उस व्यक्ति की संपत्ति को पति/पत्नी और बच्चों में समान रूप से वितरण का अधिकार देता है। इसके अलावा उस व्यक्ति के माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। पिछले कानून में ये अधिकार केवल मृतक की मां को मिलता था।
समान कारण पर ही तलाक : पति-पत्नी को तलाक तभी मिलेगा, जब दोनों के आधार और कारण एक जैसे होंगे। केवल एक पक्ष के कारण देने पर तलाक नहीं मिल सकेगा।
लिव इन का रजिस्ट्रेशन जरूरी: उत्तराखंड में रहने वाले कपल अगर लिव इन में रह रहे हैं, तो उन्हें इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हालांकि ये सेल्फ डिक्लेरेशन जैसा होगा, लेकिन इस नियम से अनुसूचित जनजाति के लोगों को छूट होगी।
संतान की जिम्मेदारी: यदि लिव इन रिलेशनशिप से कोई बच्चा पैदा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी लिव इन में रहने वाले कपल की होगी। दोनों को उस बच्चे को अपना नाम भी देना होगा। इससे राज्य में हर बच्चे को पहचान मिलेगी।
कोर्ट में चुनौती देंगे : खुर्शीद
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने पर कहा कि जरूरत पड़ी तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। खुर्शीद ने मीडिया से बातचीत में कहा- इसे होने दें। उन्हें इसे आज लागू करने दें। उसके बाद हम देखेंगे। मेरा भी उत्तराखंड में घर है, क्या यह मुझ पर भी लागू होगा? इसमें यह भी कहा गया है कि यह उन लोगों पर लागू होगा, जो उत्तराखंड के निवासी हैं, चाहे वे कहीं भी रहते हों। तो, यूसीसी उनका कितना पालन करेगी? उन्होंने क्या किया है और किस सोच के साथ ऐसा किया है, हमें समझ में नहीं आता।
कब क्या हुआ?
2022 के चुनाव से एक दिन पहले मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी लाने की घोषणा की।
सरकार बनाने के बाद मार्च 2022 की पहली कैबिनेट में समिति गठन को मंजूरी मिली।
समिति ने ढाई लाख लोगों से 20 लाख सुझाव ऑफलाइन और ऑनलाइन प्राप्त किए।
6 फरवरी’ 24 को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश हुआ, 7 फरवरी 2024 को पास हुआ।
11 मार्च’ 24 को राष्ट्रपति ने यूसीसी विधेयक को मंजूरी दी, क्रियान्वयन समिति ने 18 अक्टूबर’ 24 को नियमावली सरकार को साैंपी।
20 जनवरी’ 25 को नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी मिली।
आजाद भारत से पहले गोवा में यूसीसी
उत्तराखंड गोवा के बाद पहला राज्य बनेगा जहां यूसीसी लागू होगा। भले ही गोवा में पहले से ही यूसीसी लागू है, लेकिन वहां इसे पुर्तगाली सिविल कोड के तहत लागू किया गया था। उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य होगा।