Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

अमेरिकी सप्लाई चेन रुकी, भारतीय सेना को अपाचे की आपूर्ति में एक साल की देरी

अमेरिकी सप्लाई चेन रुकी, भारतीय सेना को अपाचे की आपूर्ति में एक साल की देरी

Share this:

New Delhi news : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिकी यात्रा के बाद भी सेना को पहला हेलीकॉप्टर अगले साल से पहले आपूर्ति होने की संभावना नहीं है, क्योंकि बोइंग ने बताया है कि उसे सप्लाई चेन की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यूएस निर्मित एएच-64ई हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति में देरी की वजह अमेरिकी कंपनी बोइंग की सप्लाई चेन बाधित होना है, जिससे उत्पादन धीमा हो गया है। फिर भी भारत को पहला हेलीकॉप्टर अगले साल ही मिलने की उम्मीद है, जो पूर्व निर्धारित शेड्यूल से लगभग एक साल पीछे है। भारतीय सेना ने अमेरिका से 2020 में छह एएच-64ई अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर हासिल करने के लिए 600 मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। सेना ने इसी साल 15 मार्च को जोधपुर में अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों का अपना पहला स्क्वाड्रन स्थापित किया है। हालांकि, इस स्क्वाड्रन के नाम का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन अमेरिका से मिलने वाले पहले बैच के हेलीकॉप्टरों को जोधपुर की इसी स्क्वाड्रन में तैनात किया जायेगा। सेना के लिए अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दुश्मन की किलेबंदी को भेदकर और उसकी सीमा में घुसकर हमला करने में सक्षम है।

छह महीने बाद भी सेना को अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति नहीं हो पाई

जोधपुर में पहली स्क्वाड्रन स्थापित करने के छह महीने बाद भी सेना को अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति नहीं हो पाई है, क्योंकि निमार्ता बोइंग कंपनी की सप्लाई चेन थम गई है। दरअसल, अमेरिकी कंपनी बोइंग को आॅर्डर दिए जाने के बाद यूएस डिफेंस प्रायोरिटी एंड एलोकेशन सिस्टम्स प्रोग्राम (डीपीएएस) पर भारत की रेटिंग कम होने से संबंधित कुछ मुद्दे थे, लेकिन अप्रैल-मई में इसे सुलझा लिया गया था। डीपीएएस से संबंधित मुद्दों में इंजन, गियरबॉक्स और हथियारों सहित अपाचे पर लगे 22 महत्वपूर्ण घटक शामिल थे, जो छह महीने की चर्चा के बाद हल हो गए लेकिन आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दे अभी भी बने हुए हैं।

सेना को पहला हेलीकॉप्टर अगले साल से पहले आपूर्ति होने की संभावना नहीं

दरअसल, अमेरिका डीपीएएस का उपयोग सैन्य, मातृभूमि सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और अन्य आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में रक्षा-संबंधी अनुबंधों को प्राथमिकता देने के लिए करता है। इसका उपयोग विदेशों को सैन्य या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा सहायता प्रदान करने के लिए भी किया जाता है। सप्लाई चेन थमने से भारतीय सेना को अमेरिका से छह अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों की खेप की आपूर्ति होने का इंतजार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिकी यात्रा के बाद सेना को पहला हेलीकॉप्टर अगले साल से पहले आपूर्ति होने की संभावना नहीं है, क्योंकि बोइंग ने बताया है कि उसे सप्लाई चेन की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

‘प्रचंड’ और अपाचे की स्क्वाड्रन मिलकर काम करेगी

पाकिस्तानी सीमा पर पश्चिमी सेक्टर के जोधपुर में वायु सेना की स्वदेशी ‘प्रचंड’ की स्क्वाड्रन और यहीं पर भारतीय सेना की अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की स्क्वाड्रन मिलकर काम करेगी। दोनों स्क्वाड्रन एक ही जगह पर होने से लड़ाकू अमेरिकी ‘अपाचे’ और स्वदेशी ‘प्रचंड’ की जुगल जोड़ी आसमान में नया गुल खिलाएगी। अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर में 16 एंटी टैंक मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा सकता है। इसे दुश्मन पर बाज की तरह हमला करके सुरक्षित निकल जाने के लिए बनाया गया है। हेलीकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों से 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं। अपाचे एक बार में 2.45 घंटे तक उड़ान भर सकता है।

Share this: