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उत्तर प्रदेश में निवेश व रोजगार बढ़ाने का जिम्मा डीएम-कमिश्नर को

उत्तर प्रदेश में निवेश व रोजगार बढ़ाने का जिम्मा डीएम-कमिश्नर को

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यूपी सरकार का बड़ा फैसला, मूल्यांकन रिपोर्ट अफसरों के एसीआर में दर्ज होगा, बेहतर परफॉर्मेंस पर उच्च ग्रेडिंग, मिलेगा विशेष सम्मान, क्रेडिट डिपोजिट रेशियो भी बनेगा मूल्यांकन का आधार

UP news, Lucknow news :  प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब डीएम और कमिश्नर को अपने-अपने जिलों में निवेश और रोजगार सृजन के संबंध में स्व-मूल्यांकन रिपोर्ट देनी होगी। इस रिपोर्ट का उल्लेख उनकी एसीआर में किया जाएगा। डीएम व कमिश्नर की सालाना रिपोर्ट में यह भी अंकित होगा कि उन्होंने अपने जिले में कितना निवेश कराया और कितना सीडी रेशियो बढ़ाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले की जानकारी मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि अपना प्रदेश ऐसा निर्णय करने वाला देश का पहला राज्य है। इसका शासनादेश जारी हो गया है।

मुख्य सचिव ने बताया कि डीएम के एसीआर में निवेश के आधार पर ग्रेडिंग कराई जाएगी। सालाना एसीआर में डीएम और कमिश्नर को अपने जिले में निवेश, लोन संबंधी प्रगति को लिखना होगा। जो डीएम बेहतर परफॉर्मेंस करेगा उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। दो-तीन हफ्तों के अंदर इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 12 लाख करोड़ के डिपॉजिट में सबसे बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र का है। इसके बाद दूसरे नंबर पर यूपी आता है। उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र में विकास के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है।

डीएम और कमिश्नर की जवाबदेही

मनोज कुमार सिंह ने बताया कि अब डीएम और कमिश्नर को अपने क्षेत्र में निवेश लाने के प्रयासों की रिपोर्ट बनानी होगी। इसमें निवेशकों की सुरक्षा, सुविधाएं और सहूलियतों को ध्यान में रखते हुए किये गए प्रयासों का भी मूल्यांकन होगा। इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही उद्यमियों के लिए समयबद्ध तरीके से भूमि आवंटन, सब्सिडी, लैंड यूज चेंज और लैंड क्लियरेंस समेत लैंड बैंक को तैयार कर उसकी मॉनीटरिंग और रेगुलर अपडेशन किये जाने का भी मूल्यांकन किया जाएगा। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि जिलों में निवेश लाने और उसे प्रोत्साहित करने के लिए अधिकारी अपनी भूमिका को जिम्मेदारी से निभाएं।

उच्च ग्रेडिंग और विशेष सम्मान

मुख्य सचिव ने बताया कि जिन जिलों के डीएम बेहतर प्रदर्शन करेंगे और अधिक निवेश आकर्षित करेंगे, उन्हें उच्च ग्रेडिंग और विशेष सम्मान दिया जाएगा। इससे अधिकारियों के बीच प्रतिस्पर्धा और जिम्मेदारी बढ़ेगी। जिलों में निवेश बढ़ाने के प्रयास में डीएम और कमिश्नर की जवाबदेही को ध्यान में रखते हुए, उनके कार्यकाल के दौरान उनके प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। रिपोर्ट में उनके द्वारा उठाए गए कदम, निवेश के प्रयास और सीडी रेशियो में हुए सुधार का विस्तृत उल्लेख होगा। इससे अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ेगी और उन्हें अपने क्षेत्र में विकास के प्रयासों को और तेजी से अंजाम देने का प्रोत्साहन मिलेगा। प्रदेश में निवेश बढ़ने से न केवल आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

कृषि व औद्योगिक क्षेत्र में सुधार के प्रयास

मुख्य सचिव के अनुसार, प्रदेश का क्रेडिट डिपॉजिट (सीडी) रेशियो वर्ष 2017 में 47 प्रतिशत था, वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करते हुए 60.32 प्रतिशत का आंकड़ छू लिया है। प्रदेश सरकार वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक 65 प्रतिशत के सीडी रेशियो के लक्ष्य को तय करके आगे बढ़ रही है। इस रेशियो का बढ़ना राज्य में आर्थिक स्थिरता और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण का संकेत है। बता दें कि योगी सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। इसके तहत किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई योजनाएं लाई गई हैं। औद्योगिक क्षेत्र में भी सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि उद्योगों को प्रदेश में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

सीडी रेशियो बढ़ाने के लिए खास योजनाएं

मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में संभल, अमरोहा, बदायूं, रामपुर, कासगंज, एटा और मुरादाबाद का सीडी रेशियो सर्वाधिक है। वहीं उन्नाव, बलरामपुर, श्रावस्ती जैसे जिलों का सीडी रेशियो कम है। ऐसे जिलों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और सीडी रेशियो सुधारने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी। डीएम और कमिश्नर को हर साल अप्रैल में उनके जिले का सीडी रेशियो बताया जाएगा, ताकि वे निवेश को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर तरीके से अंजाम दे सकें। सरकार के इस कदम का उद्देश्य न केवल निवेश को आकर्षित करना है, बल्कि प्रदेश के विकास में अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी बढ़ाना है।

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