Categories


MENU

We Are Social,
Connect With Us:

☀️
–°C
Fetching location…

लोकतंत्र के सच्चे प्रतिनिधि हैं हम सभी !

लोकतंत्र के सच्चे प्रतिनिधि हैं हम सभी !

Share this:

राजीव थेपड़ा

आज का समाचार पत्र आंखों के सामने पड़ा है। एडिटोरियल पृष्ठ पढ़ रहा हूं, जिसमें बताया जा रहा है कि 5 मार्च को एयर इंडिया की फ्लाइट AI-126 को बीच रास्ते से लौटना पड़ा, क्योंकि उसके 12 टॉयलेट्स में से 11 टॉयलेट उपयोग के योग्य नहीं रह गये थे और इसके कारण यह फ्लाइट 10 घंटे उड़ान के पश्चात बीच रास्ते शिकागो में उतार दी गयी और सैकड़ों यात्रियों को दूसरी फ्लाइट में समायोजित करना पड़ा। लोगों के लाखों रुपये खर्च…नष्ट हुए और बहुत सारे ऐसे लोग, जो बिलकुल आवश्यक कार्यों से किसी विशेष तिथि तक पहुंचने के लिए उस फ्लाइट्स में सवार हुए थे, वे सभी लोग उन कार्यक्रमों में उपस्थित नहीं हो सके ! यहां तक कि उस विमान के टॉयलेट्स की हालत भी इतनी खराब थी कि उसे वापस से ठीक करने में 02 दिन लग गये और बताया जाता है कि उन टॉयलेट्स में पॉलिथीन बैग, तरह-तरह के चिथड़े, अंडर गारमेंट इत्यादि इत्यादि पाये गये थे।…और, ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है, इससे पूर्व भी इस तरह के ब्लांकेट्स, अंडरगारमेंट्स और डायपर इत्यादि को फ्लैश किया जा चुका है !

इन सारी बातों को पढ़ते हुए मस्तिष्क बिल्कुल सन्न रह गया और बल्कि इसे सन्निपात हो गया !! क्योंकि, हमारे मस्तिष्क की जो कंडीशनिंग है, उसके अनुसार तो होना यह चाहिए कि पढ़े-लिखे लोग, जो अपने आप को सभ्य मानते और समझते हैं और बिन पढ़ों को असभ्य समझते आये हैं ! उनके अंदर कम से कम इतने संस्कार तो पाये ही जाने चाहिए, जो फ्लाइट्स के टॉयलेट्स का उपयोग सही भांति से उपयोग करने में सक्षम होंगे ! कम से कम इतनी तो उनसे आशा की ही जा सकती है! किन्तु, हाय रे हमारे इस देश के सभी नागरिक और सबसे ज्यादा वह सभ्य नागरिक ! जो अपने सबसे ज्यादा असभ्य होने का प्रमाण हर दिन सैकड़ों बार देते हैं !

सचमुच, यह देश इतना अधिक हमारा है कि इसकी सभी वस्तुएं, इसके सभी सार्वजनिक साधन, इसके सभी सार्वजनिक स्थान, इसकी सभी सरकारी चीज हमारे बाप की ही तो हैं !! क्योंकि, हम इस लोकतंत्र के लिए वोट देते हैं और चूंकि नेताओं को हम ही पार्लियामेंट में पहुंचाते हैं, इसलिए हम तो उनके मालिक हुए ! इसलिए इस देश के भी मलिक हुए ! इसलिए हम जो भी कुछ करें, हमें कौन रोक सकता है भला ? और कोई रोकता भी नहीं और कोई रोकना चाहे, तो हम तरह-तरह के धरना प्रदर्शन, अनशन, हड़ताल द्वारा सड़क जाम कर सकते हैं ! काम रोक सकते हैं ! या कैसी भी अन्य अराजकता फैला सकते हैं ! हमें कौन रोक सकता है ? किसकी हिम्मत है कि भारत जैसे विशाल लोकतंत्र के हम 140 करोड़ अराजकतावादी वीरों को कानून का पालन करा सके और एक सभ्य तथा जिम्मेदार नागरिक बना सके ?

क्योंकि, हमारे नेता जिस प्रकार येन केन प्रकारेण और अब तो तरह-तरह की मुफ्त रेवड़िया बांट कर भी हमसे वोट बटोरते हैं, उनकी तो यह हिम्मत हो ही नहीं सकती कि हमें कानून का पाठ पढ़ायें ! क्योंकि, फिर हम उनको अगली बार जब वह चुनाव में उतरेंगे, तब उन्हें एकदम सही पाठ पढ़ा देंगे ! उन्हें विधायिकी या सांसदी से उतार कर !! तो यह जो हमारी अद्भुत मानसिकता है ! यह इस समूचे संसार में एक अकेली और दुर्लभतम मानसिकता है और इसीलिए हम संसार के सबसे सफल लोकतंत्र हैं और आगे भी सफल रहेंगे ! क्योंकि, हम में से हर कोई, जो चाहे वह कर सकता है ! सड़क जाम कर सकता है ! बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की बुनियाद हिला सकता है ! कभी भी कहीं भी काम रोक सकता है ! हड़ताल कर सकता है ! इस तरह से वह हजारों लोगों या व्यवस्थाओं को अपने इन कृत्यों से नष्ट कर सकता है अथवा किसी गम्भीर परेशानी में डाल सकता है ! वास्तव में हम में से एक-एक व्यक्ति लोकतंत्र का इतना बड़ा पिलर है कि वह समझता है कि वह हिला और लोकतंत्र का तम्बू गिरा !! और लोकतंत्र के तम्बू के अंदर शासन करनेवाले भी हमसे इतना डरते हैं कि वे हमें किसी भी प्रकार के कानून का पालन करने के लिए नहीं, बल्कि उसे तोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं !!

हम देखते हैं कि हमारे लोकतंत्र के ये सच्चे प्रतिनिधि किस प्रकार तरह-तरह के मंचों पर छोटी-छोटी बातों के द्वारा जनता को बरगलाने का प्रयास करते हैं, तरह-तरह के झूठे वादों और तरह-तरह की झूठी बातों द्वारा देश के बारे में अनर्गल प्रलाप करते हैं और कुछ ऐसी बातें भी, जो कभी हुई ही नहीं, उसका प्रलाप करते हैं और इस प्रकार ये समूचे लोग हजारों-लाखों लोगों को भड़काने का प्रयास करते हैं और बहुत बार वे अपने प्रयासों में सफल भी होते हैं और इसका परिणाम किसी न किसी रूप में हमारे देश के कोई न कोई कार्य के रुक जाने के रूप में होता है या फिर उसके नष्ट हो जाने के रूप में होता है ! इसलिए इस लेखक को बार-बार ऐसा लगता है कि हम सभी देशवासी एक-एक इकाई के रूप में इतने अद्भुत लोकतांत्रिक हैं कि जिसकी कोई सीमा ही नहीं ! हम ब्रह्मांड की तरह अनन्त हैं ! हमारी अनन्तता को ईश्वर भी नहीं छू सकता !!

आप आप कहीं भी निकल जाइए। अच्छी से अच्छी बिल्डिंग में, अगर वह सरकारी होगी, सार्वजनिक क्षेत्र की होगी, तो हमारे द्वारा थूकी गयी पान और गुटके की पीकें उस बिल्डिंग के हर कोने और सीढ़ियों पर दिखाई देंगी और उन सभी के बाथरूम हमारी तरह-तरह की कृतियों से सने हुए दिखाई देंगे!! यहां तक कि हम तरह-तरह की चित्रकारियों में एमएफ हुसैन को और शेरों में मिर्ज़ा ग़ालिब और मीर को भी मात देते हैं !! जगह-जगह सार्वजनिक क्षेत्र तथा रेलों के बाथरूम हमारी चित्रकारियों और कविताओं इत्यादि से से इस प्रकार सने और सजे दिखाई देते हैं कि इस प्रकार की चित्रकारिता और कविताओं का अगर कोई ऑस्कर प्रदान किया जाता हो, तो हम उसके लिए सर्वोच्च उम्मीदवार सिद्ध होंगे ! कभी-कभी लगता है कि यदि अराजकता के लिए कभी कोई ओलंपिक होगा, तो इस भारत देश के समूचे नागरिक समूचे नागरिकों को दूसरे स्थान के लिए लड़ना होगा ! क्योंकि, प्रथम स्थान पर तो हर व्यक्ति अपने आप फिट हो जायेगा ! मतलब अराजकता के ओलंपिक के प्रथम स्थान हेतु भी करोड़ों लोग स्वभावत: योग्य सिद्ध होंगे !!

…और, मज़ा यह है कि यह सब हमें भयभीत नहीं करता, बल्कि गर्वित करता है ! हम सार्वजनिक स्थलों को गंदा करने में और तरह-तरह की व्यवस्थाओं को नष्ट करने में जिस प्रकार का अद्भुत गर्व का अनुभव करते हैं, उससे ऐसा लगता है कि हम केवल और केवल यही करने के लिए पैदा हुए हैं ! हमें सर्वश्रेष्ठ होना है, लेकिन अराजकता के तल पर ! गंदगी के तल पर ! भ्रष्टाचार के तल पर ! …और, संसार के केवल उन सभी अवगुणों के तल पर, जो मनुष्यता को लज्जित करते हैं ! कुल मिला कर यूं कि कितने खूबसूरत हैं हम ! अन्दर से लेकर बाहर तक फैली अपनी इस खूबसूरती को हम अनन्त तक उड़ेल देना चाहते हैं !! …और, अपने-अपने तरीके से, अपनी-अपनी तरह से, अपनी ही तरह के एक अभुतपूर्व व सुन्दर भारत को बनाने में इतना सक्षम है कि इसके लिए हमें अपने जनप्रतिनिधियों की आवश्यकता ही नहीं है !!

पता नहीं क्यों, मुझे बार-बार ऐसा लगता है कि हजारों विधायकों और सैकड़ो सांसदों को बार-बार पार्लियामेंट भेजने में जो अकूत धन हम नष्ट करते हैं, उसकी वास्तव में कोई आवश्यकता ही नहीं है ! क्योंकि, हम में से हर एक अद्भुत नागरिक इस देश की हर व्यवस्था को सम्भालने में इस सीमा तक सक्षम हैं, इसके के बनिस्पत हमारे समस्त वर्तमान प्रतिनिधि बिल्कुल निकम्मे और नालायक हैं !!

बल्कि, उन्हें तो खलनायक कहना ही अधिक समीचीन प्रतीत होता है ! वस्तुत: हम हर एक व्यवस्था या हर एक विषय को इस हद तक नष्ट करने में सक्षम हैं कि वह पुनः खड़ी ही ना हो सके या पुनर्निमित ही ना हो सके !! और यूं भी नष्ट होना तो हर वस्तु का स्वभाव होता है और इसलिए वह नैसर्गिक भी है और प्राकृतिक भी ! जितनी जल्दी कोई चीज नष्ट हो जाये, उतना अच्छा है, क्योंकि वह नष्ट होने के लिए ही तो पैदा हुई है !!

…तो, इसी आधार पर जितना जल्दी यह लोकतंत्र नष्ट हो जाये, उतना ही अच्छा है ! क्योंकि, जितना ज्यादा और जितनी जल्दी यह लोकतंत्र नष्ट होगा, उतना ही हमारा भ्रष्टाचारण और अराजकतावाद खुल के सामने आयेगा ! और यही तो चाहते हैं ना हम ?? कहा जाता है ना कि जितनी काली रात, उतनी ही उजली सुबह होगी ! …तो, जितना ही ज्यादा यह लोकतंत्र नष्ट होगा, उतना ही स्फुर्तवान, उतना ही ज्यादा दोबारा उभर कर, अच्छी तरह से दबंग बन कर सामने आने की उम्मीद होगी ! …तो, यह उम्मीद लिये आइये हम सब मिल कर उतारें इस देश के समस्त नागरिकों की आरती और मिल कर कहें ! जय हो मेरे देश ! भारती ! भारती ! भारती !!

Share this:

Latest Updates