Mumbai news, Bollywood news : संगीशास्त्र में बताया गया है कि वाद्य, गीत और नृत्य के मेल से संगीत उत्पन्न होता है। ये तीनों फिल्मी दुनिया में अभिनय का हिस्सा होते हैं। अभिनय के दौरान गीत और नृत्य को मिलाया जाता है। अभिनय करने वाली नायिका अगर गीत और संगीत की भी जानकारी हो और खूबसूरती की भी मलिक हो तो सोने में सुहागा। मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में इसी की मिसाल रही है अपने जमाने की अभिनेत्री और गायिका सुरैया।
मलिका-ए-तरान्नुम का खिताब
सुरैया को याद करना और समझना अपने आप में फिल्मी दुनिया के इतिहास के एक हिस्से को समेटने के समान है। 1929 में जन्मीं सुमैया का निधन आज से 21 साल पहले 2004 में हो गया था। लेकिन, आज भी उनके गीत सुनने वाले और उनकी एक्टिंग पसंद करने वाले लोगों की कमी नहीं है। 40-50 के दशक में गायन और एक्टिंग के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है। याद रखिए, उन्हें उनकी प्रतिभा के लिए इस उपमहाद्वीप में मलिका-ए-तरान्नुम कहा जाता है।
12 साल की उम्र में शुरू कर दी गायकी
महज 12 साल की उम्र में सुरैया ने गाना शुरू कर दिया था। वो कम ही उम्र में मशहूर हो गई थीं। इसके बाद उन्होंने फिल्मों में कदम रखा और वहां भी अपनी एक्टिंग के दम पर वो स्क्रीन पर छा गईं। सुरैया ने यूं तो अपने जमाने के सभी बड़े स्टार्स के साथ काम किया, लेकिन उनकी जोड़ी देवानंद साहब के साथ खूब जमी।
शादी में आड़े आया धर्म
50-60 के दशक में उनके जमाने में सबसे चर्चित अभिनेताओं में देवानंद ही रहे हैं। सुरैया से उनके संबंध को लेकर कई कहानियां चर्चित है, लेकिन कहा जाता है कि सुरैया आजीवन अविवाहित रहीं क्योंकि वह देवानंद को पसंद करती थीं और सिर्फ उन्हीं से वह शादी कर सकती थीं।1948 में इन दोनों की पहली मुलाकात फिल्म विद्या के सेट पर हुई थी। धीर धीरे सुरैया और देवानंद को एक दूसरे से प्यार हो गया। दुर्भाग्य से धर्म उनकी शादी के बीच आ गया और सुरैया की नानी के विरोध के चलते शादी रुक गई।