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इंटरनेशनल फेम के इस कार्टूनिस्ट ने जब भारत की राजनीति में मचा दी थी हलचल…

इंटरनेशनल फेम के इस कार्टूनिस्ट ने जब भारत की राजनीति में मचा दी थी हलचल…

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Mumbai news : महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई देश की आर्थिक राजधानी कही जाती है। राजनीतिक रूप से महाराष्ट्र हमेशा से अत्यंत चर्चित रहा है। उत्तर प्रदेश के बाद देश का वह सबसे बड़ा राज्य रहा है। महाराष्ट्र में अन्य राज्यों के समान शुरू से ही कांग्रेस ही सत्ता में रही है। केंद्र में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में महाराष्ट्र की धरती पर एक ऐसे हिंदूवादी विचारधारा की सशक्तता का प्रतिनिधित्व करने वाले शख्स का उदय हुआ, जिसने भारत की राजनीति में हलचल मचा दी थी। उस शख्स ने अपना करियर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था और वह इंटरनेशनल फेम के कार्टूनिस्ट बन गए थे।

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निधन के हो गए 12 साल से अधिक

जी हां, हम बात कर रहे हैं शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे यानी बालासाहेब ठाकरे की। सम्मान और श्रद्धा के भाव से महाराष्ट्र के समाज और राजनीति में उन्हें बालासाहेब कहा जाता है। 1926 में जन्मे बालासाहेब का निधन 2012 में हुआ था। उनके निधन के 12 साल से अधिक हो गए, लेकिन आज भी उनका सम्मान यथावत है। भले आज उनकी पार्टी शिवसेना दो फाड़ में विभाजित हो चुकी है। बता दें कि उन्होंने 1966 में अपनी पार्टी शिवसेना का गठन किया था। उनके निधन के बाद जो उनकी अंतिम यात्रा निकाली थी उसका दृश्य बताता है कि ऐसा मालूम हो रहा था जैसे पूरे महाराष्ट्र की जनता सड़क पर उतर गई थी। उनकी शोभा यात्रा में एक साथ दो लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे।

1960 में निकला था साप्ताहिक अखबार

जानकार बताते हैं कि पहले वे अंग्रेजी अखबारों के लिए कार्टून बनाते थे। बाद में उन्होंने सन 1960 में मार्मिक के नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकाला। अपने पिता केशव सीताराम ठाकरेजी के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित किया। उसके बाद उन्होंने राजनीति में उतारने का फैसला करते हुए अपनी पार्टी का गठन 1960 में किया था। ध्यान रहे मराठी मानुष उनकी सोच के केंद्र में था। वह सचमुच हिंदू हृदय सम्राट थे। हिंदूवादी पार्टी के रूप में इसके पहले आरएसएस की राजनीतिक शाखा के रूप में जनसंघ मौजूद था, लेकिन वह कांग्रेस से लड़ने में सक्षम नहीं हो पा रहा था। इसलिए उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी शिवसेना का गठन किया था। यह महत्वपूर्ण बात है कि उन्होंने कांग्रेस का विरोध करते हुए समय-समय पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साहस की तारीफ भी की थी।

1988 में हुई थी सामना की शुरुआत

अपने विचारों के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने 1988 में सामना का प्रकाशन शुरू किया था। मराठी भाषा में सामना के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा में दोपहर का सामना नामक अखबार भी निकाला। इस प्रकार महाराष्ट्र में हिंदी व मराठी में दो-दो प्रमुख अखबारों के संस्थापक ठाकरे ही थे। हिंदूवादी विचार के कारण वे अखबार की सुर्खियों में बने रहते थे। 17 नवंबर 2012 को मुंबई में अपने मातोश्री आवास पर दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली थी। याद रखिए,ठाकरे के कार्टून जापान के एक डेली न्यूज पेपर ‘द असाही शिंबुन’ और ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के संडे एडिशन में छपा करते थे। वह 1950 में फ्री प्रेस जर्नल में मशहूर कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण के साथ काम कर चुके थे।

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