Mumbai news, Bollywood news : 17 अक्टूबर 1997 को 2 घंटा 40 मिनट की एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था लोहा। धर्मेंद्र, शत्रुघ्न सिन्हा, मिथुन चक्रवर्ती, शशि कपूर, जैसे अभिनेता ने इस फिल्म में एक्टिंग की थी। माधवी और मंदाकिनी दो हीरोइनों ने भी इस फिल्म में रोल निभाया था। कांति शाह के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में खलनायक की भूमिका निभाई थी अमरीश पुरी ने। सिल्वर स्क्रीन पर यह मल्टी स्टारर फिल्म हिट हुई थी। खलनायक के रूप में अमरीश पुरी का एक नया अंदाज सामने आया था और उनकी खलनायकी की यही खासियत मानी जाती है। फिल्म में लुका नाम के खूंखार अपराधी की भूमिका अमरीश पुरी ने निभाई थी। फिल्म में जब धर्मेंद्र उन्हें मार डालने की बात कहते हैं तो अमरीश बोलते हैं- मुझे तू क्या मारेगा, मैंने तो अपने जन्म के पहले ही मौत को मार दिया है। अब याद कीजिए, 1987 में मिस्टर इंडिया फिल्म का वह डायलॉग- मोगैंबो खुश हुआ। यह डायलॉग फिल्म के खलनायक अमरीश पुरी का है। इसी तरह के फिल्मी दुनिया के कई डायलॉग लोगों की जुबान पर रहे हैं। आज भी अमरीश पुरी याद किए जाते हैं। कहा जाता है कि अमरीश पुरी फिल्मी दुनिया में एक्टर बनने आए थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें खलनायक बना दिया। पंजाब के जालंधर में 1932 में जन्मे अमरीश पुरी 90 से ज्यादा वसंत देख चुके हैं। फिर भी अच्छी सेहत के धनी हैं।
30 वर्षों के करियर में छोड़ी अपेक्षा
अगर अलग-अलग किस्म की उनकी फिल्मों को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि वह अपने किरदार में जान डाल देते थे। अमरीश पुरी ने 30 साल से भी ज्यादा वक्त तक फिल्मों में काम किया और नकारात्मक भूमिकाओं को इस प्रभावी ढंग से निभाया कि हिंदी फिल्मों में वो बुरे आदमी का पर्याय बन गए। एक इंटरव्यू में अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने बताया था कि मेरे पिता फिल्मों में नायक बने गए थे लेकिन खलनायक की भूमिका में उन्होंने अपनी अमित छाप छोड़ी। 70 के दशक में अमरीश पुरी ने निशांत, मंथन, भूमिका, आक्रोश जैसी कई फिल्में की।
अनुशासन प्रिय और वक्त के पाबंद
80 के दशक में उन्होंने बतौर खलनायक कई अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाईं। हम पांच, नसीब, विधाता, हीरो, अंधा कानून, अर्ध सत्य जैसी फिल्मों में उन्होंने बतौर खलनायक ऐसी छाप छोड़ी कि फिल्म प्रेमियों के मन में उनके नाम से ही खौफ पैदा हो जाता था। साल 1987 में आई मिस्टर इंडिया में उनका किरदार मोगैंबो बेहद मशहूर हुआ। असल जीवन में वे बेहद अनुशासनप्रिय और वक्त के पाबंद इंसान थे। उनके सिद्धांत बिलकुल स्पष्ट थे। अमरीश रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ बिल्कुल विनम्र रहते थे। उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया कि वो कितने मशहूर हैं। इसके अलावा अमरीश पुरी को अपने पोते पोतियों से बेहद लगाव है।