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साईं दरबार में मन्नतें पूरी हो जाती हैं बस श्रद्धा और सबूरी होनी चाहिए : मनोज ठाकुर

साईं दरबार में मन्नतें पूरी हो जाती हैं बस श्रद्धा और सबूरी होनी चाहिए : मनोज ठाकुर

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बेटे ऋत्विक और प्रतीक ने लहराया परचम,‌लौहनगरी के लिए गर्व

Jamshedpur news : कोल्हान के विभिन्न थानों में प्रभारी और दारोगा के पद पर रह चुके वर्तमान सीसीआर डीएसपी मनोज कुमार ठाकुर बीते दिनों सपरिवार शिरडी गये थे.वे बताते हैं‌ कि शिरडी में जब उनकी पत्नी किरण ठाकुर ने फरियाद की तो तत्काल सुनवाई हो गई थी और बाबा के चमत्कार से उनके बेटे ऋत्विक शांडिल्य ने हरियाणा और बिहार दोनों ही राज्यों में न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफलता पाई.वहीं छोटे बेटे प्रतीक शांडिल्य को भी बीटेक करने के बाद हैदराबाद में 40 लाख का सालाना पैकेज क्वालकॉम में मिला.बड़े पुत्र ऋत्विक शांडिल्य ने बिहार राज्य 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है और इससे पहले उनका चयन हरियाणा न्यायिक सेवा में भी हुआ लेकिन उन्होंने बिहार न्यायिक सेवा को ही अपना कार्यक्षेत्र चुना है.यह उपलब्धि डीएसपी मनोज ठाकुर और उनके परिवार के साथ ही जमशेदपुर वासियों के लिए भी गर्व का क्षण है.

प्रतीक ने कानपुर से किया बीटेक

इस साल के शुरुआत में ही मनोज ठाकुर को दोहरी खुशी मिली है जब उनके छोटे पुत्र प्रतीक शांडिल्य जिन्होंने आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बी.टेक किया है जो कि देश में एक विश्वस्तरीय आईटी का संस्थान हैं.

ऋत्विक ने रांची से की लॉ की पढ़ाई

बड़े बेटे ऋत्विक शांडिल्य ने रांची के नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट से एलएलबी की पढ़ाई 2017-2022 में पूरी की.फिर पहले प्रयास में ही हरियाणा न्यायिक सेवा में 20वां और बिहार न्यायिक सेवा में 32वां रैंक प्राप्त कर लौहनगरी का नाम रौशन किया.मनोज ठाकुर के दोनों ही बेटे जमशेदपुर के जेपीएस बारीडीह के ही छात्र हैं.

बच्चों को हमेशा ही सिखाया अहंकार शून्य बनो

मनोज कुमार ठाकुर ने अपने बेटों को हमेशा ही व्यवहारकुशल और अहंकार शून्यता के साथ उच्च विचारधारा की सीख दी.पढा़ई में कहीं थानेदारी आड़े न आए इसलिए पुलिस सेवा में पद और पदस्थापना का कभी मोह नहीं रखा.थाना प्रभारी रहते हुए भी मनोज ठाकुर लोगों से बड़े मृदुभाषी व्यवहार करते थे और आज भी डीएसपी सीसीआर रहते वैसे ही नजर आते हैं.भागलपुर (बिहार) जन्मे मनोज ठाकुर का अविभाजित बिहार में 1994 में दारोगा में बहाल तो हुए लेकिन उनके कार्यकाल का बड़ा समय झारखंड में बीता और वर्तमान कर्मस्थली झारखंड ही है.कई बार नक्सल मुठभेड़ों में वे बाल-बाल भी बचे और अपनी बहादुरी के कारण चर्चा का विषय बने रहे.

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