Dhanbad news : आईआईटी (आईएसएम) धनबाद में 08 से 10 फरवरी तक आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला “Seismic Modelling and Migration using SeisRTM” का सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस अवसर पर आयोजित समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. एम.के. सिंह, डीन (अकादमिक), IIT (ISM) थे, जिन्होंने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किये।
अपने सम्बोधन में प्रो. सिंह ने छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने में ऐसी कार्यशालाओं के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने National Supercomputing Mission के तहत विकसित Indigenous शक्तिशाली सॉफ़्टवेयर की भूमिका पर जोर दिया, जो Seismic Imaging में तकनीकी विशेषज्ञता और अनुसंधान को बढ़ावा देता है।
समापन समारोह में प्रो. सजित कुमार पाल, प्रमुख, एप्लाइड जियोफिज़िक्स विभाग, IIT (ISM), और ऋचा रस्तोगी, वैज्ञानिक F, C-DAC पुणे, भी उपस्थित रहे। प्रो. पाल ने प्रो. सुकुमार मिश्रा, निदेशक, IIT (ISM); प्रो. धीरज कुमार, डिप्टी डायरेक्टर; और प्रो. मृत्युंजय कुमार, डीन (अकादमिक) के सतत समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कार्यशाला के सफल संचालन के लिए आयोजन समिति की भी सराहना की।
इस कार्यशाला का आयोजन संयुक्त रूप से Seismic Data Processing (SDP), C-DAC पुणे; एप्लाइड जियोफिज़िक्स विभाग, IIT (ISM) धनबाद; और पृथ्वी विज्ञान विभाग, IIT रुड़की द्वारा किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य SeisRTM सॉफ़्टवेयर की पहुंच को बढ़ाना, इसके आगे के विकास को बढ़ावा देना और Seismic Imaging में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना था।
IIT (ISM) धनबाद के एप्लाइड जियोफिज़िक्स विभाग से प्रो. एस. दत्ता गुप्ता, जिन्होंने कार्यशाला के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, ने कहा, “SeisRTM एक उन्नत और उच्च अनुकूलन योग्य Reverse Time Migration (RTM) सॉफ़्टवेयर है, जिसे कुशल Seismic Imaging के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे C-DAC पुणे ने IIT रुड़की और ONGC के सहयोग से MeitY के तहत भारत के National Supercomputing Mission (NSM) के हिस्से के रूप में विकसित किया है।”
कार्यशाला में 140 से अधिक छात्रों ने भाग लिया और यह IIT (ISM) धनबाद के न्यू लेक्चर हॉल कॉम्प्लेक्स (NLHC) के लैब 3 में आयोजित की गई। तीन दिनों तक प्रतिभागियों ने Seismic Imaging तकनीकों पर व्यावहारिक अनुभव और सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त किया।
कार्यशाला के पहले दिन बुनियादी विषयों का परिचय दिया गया, जिसमें LINUX और PBS कमांड, 2D मॉडल और ज्योमेट्री निर्माण, और 2D Isotropic Modelling का उपयोग करके Seismic Data उत्पन्न करने की प्रक्रियाएँ शामिल थीं। इस दौरान C-DAC पुणे की वैज्ञानिक F, ऋचा रस्तोगी ने Seismic Modelling पर एक विशेषज्ञ व्याख्यान दिया। व्यावहारिक सत्रों का नेतृत्व C-DAC पुणे की सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर नीतू मंगालथ, प्रोजेक्ट इंजीनियर स्नेहा बिडवे और प्रोजेक्ट इंजीनियर भरत कृष्णन ने किया, जिन्होंने प्रतिभागियों को SeisRTM सॉफ़्टवेयर की कार्यप्रणाली से अवगत कराया।
दूसरे दिन, IIT रुड़की के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रमुख, प्रो. आनंद जोशी ने RTM के सैद्धांतिक पहलुओं पर एक जानकारीपूर्ण व्याख्यान दिया। इसके बाद Hands-on सत्र में पहले से उत्पन्न Seismic Data की Migration और Post-RTM Utilities पर कार्य किया गया।
अंतिम दिन प्रतिभागियों को SEGY डेटा प्रदान किया गया, जिससे उन्होंने RTM एप्लिकेशन का निष्पादन किया और कार्यशाला में सीखी गयीं अवधारणाओं पर आधारित चर्चा की।
इस कार्यशाला की सफल समाप्ति IIT (ISM) धनबाद की Geophysical Research को आगे बढ़ाने और अकादमिक व अनुसंधान संगठनों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कार्यक्रम भारत में Seismic Imaging Technologies के विकास और प्रसार में एक और महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुआ।