Dharma-Karma, Spirituality, Astrology, Dharm- adhyatm, dharm adhyatm, religious, Bihar news, bagaha news : Bihar (बिहार) के बगहा में एक अनोखा प्रकृतिक मंदिर है। लोग कहते हैं कि यह स्वयं बन गया है। यह कब बना है, किसी को पता नहीं। यह मंदिर एक बरगद और पीपल के पेड़ के बीच स्थित है। पश्चिमी चंपारण के टडवलिया गांव स्थित इस मंदिर को देखकर हर कोई हैरान और परेशान हो जाता है।
सदियों पुराने इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती आ रही है। सिर्फ इतना ही नहीं इन दोनों प्राचीन वृक्षों की टहनियां आश्चर्यजनक रूप से शिव के धनुष, त्रिशूल, डमरू और गले के हार मतलब सर्प का आभास दिलाती हैं।
पहले इस स्थान पर था जंगल
इस गांव के निवासी रघुनाथ द्विवेदी, गौरी शंकर जायसवाल, विनोद द्विवेदी के अनुसार, उनके पूर्वज बताते थे कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। पूर्वजों ने बताया था कि यहां पहले जंगल था। यहीं श्रीयोगी हरिनाथ बाबा तप किया करते थे और यहीं पर उन्होंने जीवित समाधि ली थी। समाधी के बाद जब श्रीयोगी के उत्तराधिकारी उमागिरि नाथ इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराने लगे तो कई आश्चर्यजनक घटनाएं हुईं। दिन में मंदिर बनता था और रात में ध्वस्त हो जाता था। इसके बाद मंदिर बनाने का काम बंद कर दिया गया।
समाधि स्थल पर पहले से मौजूद था शिवलिंग
हालांकि समाधि स्थल पर पहले से ही एक शिवलिंग मौजूद था। इसके बाद उस शिवलिंग के पास बरगद और पीपल के पेड़ आपस में लिपट गए और उसकी कई शाखाओं ने मंदिर का रूप धारण कर लिया। आज पेड़ रूपी इस मंदिर के अंदर जाने का एक छोटा रास्ता है, जिसमें झुककर अंदर जाया जाता है। वहीं, अंदर में तीन चार लोग बैठकर आसानी से पूजा भी कर सकते हैं।