बेशक पढ़ने-लिखने और ज्ञान प्राप्त करने की कोई उम्र सीमा नहीं हो सकती। ज्ञान की धारा तो कभी समाप्त ही नहीं होती। उम्र चाहे जो हो पढ़कर कुछ करने की लगन जग जाए तो सब कुछ संभव है। ऐसा ही एक उदाहरण ओडिशा में सामने आया है। ओडिशा बोर्ड की 10वीं की परीक्षाएं 29 April से शुरू हो चुकी हैं। 10वीं की बोर्ड परीक्षा में इस साल 5.8 लाख परीक्षार्थी शामिल हो रहे हैं। इन परीक्षार्थियों में एक खास शख्स भी हैं, कंधमाल जिले के बीजद के विधायक अंगद कन्हार। अन्य छात्रों की तरह उन्होंने भी परीक्षा में भाग लिया। 57 साल के अंगद कन्हार 40 साल पहले मैट्रिक परीक्षा से ड्रॉप आउट थे। इस साल उन्होंने परीक्षा देने का फैसला लिया है।
पारिवारिक मजबूरी के कारण छोड़ी थी पढ़ाई
पारिवारिक मजबूरियों के कारण स्कूल छोड़ने के चार दशक से अधिक समय बाद ओडिशा के कंधमाल जिले से बीजद के 57 वर्षीय विधायक अंगद कन्हार शुक्रवार की सुबह सैकड़ों छात्रों की तरह मैट्रिक की परीक्षा देने के लिए एक हाई स्कूल पहुंचे। फूलबनी के एक आदिवासी विधायक कन्हार ने राज्य ओपन स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा के तहत मैट्रिक परीक्षा में भाग लिया।
शिक्षित होने के लिए उम्र बाधा नहीं
अपने कुछ दोस्तों के साथ परीक्षा देने पहुंचे विधायक कन्हार ने कहा, “मुझे पता चला कि कई लोग 50 वर्ष या उससे अधिक की उम्र में भी परीक्षा में शामिल हुए हैं। इसलिए मैंने बोर्ड परीक्षा देने का फैसला किया। परीक्षा में बैठने या शिक्षित होने के लिए कोई उम्र की बाधा नहीं है।” कन्हार के साथ उनके दो दोस्तों ने भी परीक्षा दी, जिसमें एक सरपंच है।