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🗓️ Mon, Mar 31, 2025 🕒 4:12 PM

Big change in rules :12वीं पास करने वाले भी शुरू कर सकेंगे मेडिकल कारोबार, अब नहीं होगी बीफार्मा डिग्री की जरूरत

Big change in rules :12वीं पास करने वाले भी शुरू कर सकेंगे मेडिकल कारोबार, अब  नहीं होगी बीफार्मा डिग्री की जरूरत

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जो लोग मेडिकल का कारोबार करना चाहते हैं, उनके लिए खुशखबरी है। क्योंकि यह व्यवसाय करने के लिए आपको बीफार्मा की डिग्री की जरूरत नहीं होगी। 12वीं पास युवा भी मेडिकल व्यवसाय कर सकता है। दरअसल केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से कॉस्‍मेटिक्‍स एंड ड्रग्‍स एक्‍ट के मेडिकल डिवाइस के नियमों में बदलाव किया है। इन नियम के तहत अब कोई भी 12वीं पास व्यक्ति मेडिकल व्‍यवसाय के क्षेत्र में डिवाइसों की खरीद और ब्रिक्री कर सकता है। इससे पहले उन्‍हें फॉमसिस्‍ट की ड्रिग्री लेनी होती थी। लेकिन अब उन्‍हें इसकी जरूरत नहीं होगी और साथ ही अब इसके लिए लाइसेंस बनवाने की भी जरूरत नहीं होगी। बिना लाइसेंस के भी आप यह व्‍यवसाय कर सकते हैं। मेडिकल डिवाइसों की बिक्री के लिए केवल पंजीकरण कराना होगा।

सिर्फ एक साल का अनुभव प्राप्त करना होगा

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से नियमों में बदलाव को लेकर कहा गया है कि केवल 12वीं पास करके कोई भी इस व्‍यवसाय में कदम दख सकता है। लेकिन यह व्‍यवसाय करने के लिए उसके पास एक साल का अनुभव होना चाहिए। चिकित्‍सा उपकरण 2017 के नियम में संशोधन के साथ खरीद और बिक्री के लिए बिना लाइसेंस की अनुमति दे दी है। कोविड -19 महामारी के दौरान चिकित्सा उपकरण व्यापार में विनियमन का अभाव दिखाई देने से इलाज में समस्‍या आई थी। जिस कारण से बाजार में कई ड्यूपलिकेट चीजों को बेचा गया था। साथ ही छोटी से छोटी चीजों की अधिक दाम भी वसूले गए थे। प्रिवेंटिव वियर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, संजीव रिलहान ने कहा कि इस नियम में बदलाव के साथ मेडिकल का व्‍यापार आसानी से किया जा सकेगा और बाजार में इन चीजों की कमी महसूस नहीं होगी।
अगर आप यह व्‍यवसाय करना चाहते हैं तो आपको अपने राज्‍य के रेगुलेटर के पास पंजीकरण कराना होगा। इस पंजीकरण के बाद आप डॉग्‍नोस्टिक्‍स, ऑक्सीमीटर, इंफ्रा-रेड थर्मामीटर और पीपीई जैसी चीजों को सेल कर सकेगे। बता दें कि भारत दुनिया भर में चिकित्सा उपकरणों के लिए शीर्ष 20 बाजारों में शामिल है। आईबीईएफ का अनुमान है कि बाजार के 2025 में 37% सीएजीआर से बढ़कर 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2020 में 75,611 करोड़ डॉलर (10.36 अरब डॉलर) था।

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