पूंजी बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम लिमिटेड (LIC) के आइपीओ को मंजूरी दे दी है। इस प्रारंभिक पब्लिक आफर (आइपीओ) के माध्यम से एलआइसी 5 फीसद हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इस बिक्री से कंपनी को करीब 63,000 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष का विनिवेश लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार यह आइपीओ अगले 20 दिनों के भीतर अथवा चालू वित्त वर्ष की समाप्ति (31 मार्च, 2022) से पहले पेश कर देना चाहती है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एलआइसी के आइपीओ के लिए पेश ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस को एक महीने के अंदर मंजूरी दे दी। यह आइपीओ के लिए मंजूरी देने के मामले में सेबी द्वारा लिया गया सबसे कम समय है।
13 फरवरी को दाखिल किया था डीआरएचपी
एलआइसी ने इस साल 13 फरवरी को आइपीओ के लिए सेबी के पास डीआरएचपी दाखिल किया था। डीआरएचपी के मुताबिक कंपनी इस आइपीओ के तहत 31.5 करोड़ शेयर अथवा पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इसमें पालिसीधारकों व कर्मचारियों को फ्लोर प्राइस पर विशेष छूट भी दी जाएगी। मानकों के अनुसार कर्मचारियों के लिए अधिकतम पांच प्रतिशत और पालिसीधारकों के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत शेयर आरक्षित रखे जा सकते हैं। वैसे डीआरएचपी में कंपनी के बाजार मूल्यांकन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन बीमा उद्योग के मानकों को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि यह कंपनी की एंबेडेड वैल्यू (5.4 लाख करोड़ रुपये) का करीब तीन गुना अथवा लगभग 16 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। इस मूल्यांकन के साथ शेयर बाजार में कंपनी देश की दो सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों आरआइएल व टीसीएस के आसपास पूंजीकरण के साथ कारोबार करेगी।
अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ
एंबेडेड वैल्यू में कंपनी के वर्तमान असेट अंडर मैनेजमेंट व निकट भविष्य की अनुमानित कमाई का जोड़ शामिल किया जाता है। एलआइसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी (632.49 करोड़ शेयर) है। इन शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रतिश शेयर है। आइपीओ के तहत सरकार अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी आफर फार सेल यानी ओएफएस के माध्यम से बेचेगी और कंपनी कोई नया शेयर जारी नहीं करेगी। एलआइसी के आइपीओ को देश में अब तक का सबसे बड़ा आइपीओ कहा जा रहा है। इससे पहले निजी फाइनेंशियल टेक्नोलाजी कंपनी पेटीएम ने पिछले वर्ष आइपीओ के माध्यम से 18,300 करोड़ रुपये जुटाए थे, जो वर्तमान में देश का सबसे बड़ा आइपीओ है।
कोल इंडिया के नाम था पहले यह गौरव
पेटीएम से पहले यह गौरव कोयला क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के नाम था, जिसने वर्ष 2010 में करीब 15,500 करोड़ रुपये जुटाए थे। वर्ष 2008 में 11,700 करोड़ रुपये जुटाकर रिलायंस पावर ने उस वक्त तक का सबसे बड़ा आइपीओ लांच किया था। वैसे, पिछले महीने रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद हाल के दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ मौकों पर यह कहा है कि बाजार की स्थितियों को देखते हुए एलआइसी का आइपीओ अगले वित्त वर्ष के लिए टल भी सकता है। अगर शेयर बाजारों का रुख सकारात्मक नहीं रहा तो सरकार इस आइपीओ के लिए अनुकूल माहौल का इंतजार कर सकती है। इसके साथ ही यह भी सच है कि एलआइसी के आइपीओ के बिना सरकार चालू वित्त वर्ष का विनिवेश लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा था, जिसे बाद में संशोधित कर 78,000 करोड़ रुपये रखा गया है। फिर भी, अभी तक सरकार विनिवेश के माध्यम से सिर्फ 12,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक रकम जुटा सकी है।