– 

Bengali
 – 
bn

English
 – 
en

Gujarati
 – 
gu

Hindi
 – 
hi

Kannada
 – 
kn

Malayalam
 – 
ml

Marathi
 – 
mr

Punjabi
 – 
pa

Tamil
 – 
ta

Telugu
 – 
te

Urdu
 – 
ur

होम

वीडियो

वेब स्टोरी

भक्तों के संकट हर लेती हैं दुर्गा, इन औषधियों में भी स्थित

brahmcharini 696x546 1

Share this:

Durga takes away all the troubles of devotees : भक्तों के संकट हर लेती दुर्गा, इन औषधियों में भी हैं स्थित। आज से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र में इसका लाभ उठाएं। इस लेख में मैं आपको वनस्पति में स्थित उन औषधियों की जानकारी दे रहा हूं, जिनमें मां दुर्गा का वास है। दुर्गा के नौ रूप इसका भी स्पष्ट संकेत देते हैं। मार्कंडेय पुराण में इसकी जानकारी दी गई है। इसका ज्ञान स्वयं ब्रह्मा जी ने दिया था। दुर्गा कवच में भी इसके स्पष्ट संकेत मिलते हैं। जीवनदायी ये औषधियां प्राणियों के रोगों को हरने वाली हैं। इनका नियमित सेवन शरीर रक्षा कवच जैसा उपयोगी है। इससे मनुष्य न सिर्फ स्वस्थ अपितु दीर्घायु भी होता है। आइए जानें दिव्य गुणों वाली दुर्गा से संबंधित इन नौ औषधियों के बारे में। इन्हें नवदुर्गा का रूप भी कहा जाता है।

शैलपुत्री हरड़ व ब्रह्मचारिणी ब्राह्मी के प्रतीक

पहले दिन दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा होती है। हरड़ को उन्हीं का प्रतीक माना जाता है। यह सात प्रकार की होती है। इनमें हरीतिका भय को हरने वाली है। पथया को हित करने वाली और कायस्थ को शरीर की स्थिति को ठीक रखने वाली माना जाता है। अमृता अमृत समान है। हेमवती भी दुर्लभ गुणों वाली है। चेतकी के सेवन से चित्त प्रसन्न और श्रेयसी को कल्याणकारी माना जाता है। ब्राह्मी को ब्रह्मचारिणी का प्रतीक माना जाता है। यह आयु और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली है। इसके सेवन से रक्त विकार दूर होते हैं। इससे स्वर में मधुरता आती है। ब्राह्मी को सरस्वती का भी रूप माना गया है। यह मन और मस्तिष्क को पुष्ट कर सबल बनाती है। यह मूत्र और रक्त विकार दूर करने में अत्यंत उपयोगी है। इन रोगों से पीड़ित को ब्रह्मचारिणी की उपासना अवश्य करनी चाहिए।

चंद्रघंटा चंदुसूर, कूष्मांडा पेठा व स्कंदमाता यानि अलसी

भक्तों के सारे संकट हर लेने वाली मां दुर्गा चंदुसूर में चंद्रघंटा, पेठा में कूष्मांडा और अलसी में स्कंदमाता रूप में स्थित हैं। चंदुसूर धनिये के समान वनस्पति है। इसकी पत्तियों की सब्जी भी बनाई जाती है जो स्वास्थ्यवर्धक है। यह मोटापा दूर करने के साथ ही शक्ति बढ़ाने वाली भी है। हृदय रोग में भी इसका सेवन लाभदायक है। पेठा को कौन नहीं जानता। इसकी मिठाई शानदार व पुष्टिकारक होती है। वीर्य बढ़ाने के साथ ही रक्त, पित्त व गैस विकार में लाभदायक है। पेट की बीमारियों में अमृत समान है। मानसिक रोग ठीक करने में भी इसकी उपयोगिता है। अलसी में स्थित स्कंदमाता वात, पित्त, कफ आदि रोगों को दूर करने में बेहद प्रभावी हैं।

अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।

अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।

उष्णा दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।

कात्यायनी यानि मोइया व कालरात्रि या नागदौन

नवदुर्गा का छठा रूप कात्यायनी हैं। इसे आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अंबा, अंबालिका, अंबिका। इसके अलावा इसे मोइया अर्थात माचिका भी कहते हैं। यह कफ, पित्त, अधिक विकार एवं कंठ के रोग का नाश करती है। इससे पीड़ित रोगी को इसका सेवन व कात्यायनी की उपासना करनी चाहिए। दुर्गा की सातवीं रूप कालरात्रि को महा योगिनी और महायोगीश्वरी कहा जाता है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों की नाशक और मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है। इस पौधे को घर में लगाने पर सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। यह सुख देने वाली एवं सभी तरह के विष का नाश करने वाली है। इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए। भक्तों के सारे संकट हर लेने वाली माता महागौरी व सिद्धिदात्री रूप में भी औषधियों में स्थित हैं।

महागौरी से तुलसी और सिद्धिदात्री से शतावरी जानें

मां दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी हैं। इसके औषधि गुण सर्वविदित हैं। इसे लगभग हर सनातनी के घर में देखा जा सकता है। यह रक्त साफ करने के साथ ही हृदय रोग में प्रभावी है। माता की इस रूप की उपासना सभी को करनी चाहिए।

तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।

अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्नी देवदुंदुभि:

तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् ।

मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।

नौवां रूप सिद्धिदात्री को नारायणी याशतावरी भी कहते हैं। शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि है। यह रक्त विकार एवं वात-पित्त शोध नाशक और हृदय को बल देने वाली महा औषधि है। जो व्यक्ति माता की इस रूप की आराधना के साथ शतावरी का नियमित सेवन करता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

Share this:




Related Updates


Latest Updates