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एकादश रुद्रावतार

एकादश रुद्रावतार

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डॉ. आकांक्षा चौधरी

शिव ही शुभ पंचमस्तक हो

ब्रह्म कपालमुंडधारी हो

दक्ष यज्ञ विनाशकारी

शूलपाणि कपाली हो ॥१

दुर्जेय सिंहनादकारी

कल्याणार्थ अवतरित

शिव ही हर चर अचर में

रुद्र भीम भयंकर हो ॥२

विरूप त्रिनेत्रधारी

अक्षमाला खड्गधारी

वामहस्त अंकुश लिये

वीरभद्र गण विरुपाक्ष हो॥३

नीललोहित धूम्रवर्ण तुम

शंकरशनया ईशान तुम

तुम ही शर्व सुन्दरम्

विलोहित और अजापदम् ॥४

नीलकंठ अग्निज्जवल

तुम ही रुद्र स्वयंभवम्

अस्तित्व तुम्हारा सत्य है

भवम् भुवम् भवम् अहो ॥५

शास्ता, अहिबुर्धन्य

पिनाकधारी स्थाणु तुम

सदाशिव परमब्रह्म् हो

जगत् का आधार विध्वंसक हो॥६

कपर्दिन, नीललोहित को

शितिकण्ठ, कश्यपसुत को

सुरभि, कामधेनुसुत

हे शम्भु, तुम्हें नमन हो॥७

असुर नाशवान हो

उग्र देवाधिदेव हो

ईशानपुरी निलय तुम्हारा

पशुपतिनाथ महाकाल हो॥८

पीताम्बर तुम दिगम्बरम्

तारनहार, तारकेश्वरम्

जिसकी शक्ति तारिणी

शं करे वही शंकरम् ॥९

बाल भुवनेश, माता भुवनेश्वरी

श्री विद्येश, माता षोडशी

दंडपाणि स्वस्वा प्रलयंकारी

असितांग, काल, आनंदकारी ॥१०

मातंगी, भूतेश्वर

कमलाधिपति, बग्लेश्वर

धूम्रवर्णी चंद्रचूड़म्

उन्मत्, संहारक बटुकेश्वर॥११

भैरवीवल्लभ भैरवनाथा

अंधकासुर मर्दन

शरभावतार नृसिंहनाथा

अवधूतरूपम् कैलाशनाथा ॥१२

नंदीश्वर गणाधिपति

दक्षयज्ञ विध्वंसक

ब्रह्मा मर्दक कपालिन

विश्वनाथम् योगाधिपति ॥१३

भस्मपूरित गौरवर्णा

वासुकीनाथा नटराजा

नित्यानर्त अनन्त नर्तक

त्रिपुरांतक पंचानना॥१४

हररुद्र, अपराजित हो

वृषाकपि, त्रयम्बक हो

पिंगल पिनाकधारी तुम

केदारनाथा अम्लेश्वर हो॥१५

नटेश्वर तुम, सुरेश्वर तुम

छिन्नमस्तक धूमवान तुम

अमरावती के अधिपति

श्री एकादश रुद्रावतार तुम॥१६

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