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GANGS OF WASSEYPUR : गैंगस्टर फहीम खान और उसके बेटे इकबाल पर पुलिस साबित नहीं कर सकी आरोप, फहीम पर 11 साल पहले और उसके बेटे पर 7 साल पहले दर्ज हुआ था केस

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गैंग्स ऑफ वासेपुर के मुख्य सरगना फहीम खान और उसके पुत्र इकबाल खान को अदालत से बड़ी राहत मिली है। गैंगस्टर फहीम खान पर 11 साल पहले और उसके बेटे इकबाल पर 7 साल पहले पुलिस ने दर्ज की थी प्राथमिकी। जेल में रहकर रंगदारी मांगने और फायरिंग के दो विभिन्न मामलों में अदालत ने फैसला सुनाते हुए दोनों को बाइज्‍जत बरी कर दिया!प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार इंदवार की अदालत ने रंगदारी मांगने के एक पुराने मामले में फहीम खान को निर्दोष करार दिया। वहीं वासेपुर में सरेआम फायरिंग करने के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजकुमार मिश्रा की अदालत ने इकबाल खान को बाइज्जत बरी किया। 

अधिवक्ता ने जोरदार ढंग से रखा अपना पक्ष

इन दोनों मामलों में आरोपित फहीम खान और इकबाल खान की ओर से अदालत में अधिवक्ता शाहबाज सलाम ने अपने मुवक्किल के पक्ष में जोरदार ढंग से दलील पेश की। उन्‍होंने कहा कि केवल संदेह के आधार पर किसी के विरुद्ध मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। अभियोजन दोनों ही मामलों में आरोप को संदेह से परे साबित करने में असफल हुआ है। आज जिस तरह धनबाद जेल में बंद रहने के दौरान शूटर अमन सिंह पर लोगों को रंगदारी के लिए धमकाने का आरोप लगा है, ठीक ऐसी ही शिकायत नौ साल पहले गैंग्‍स ऑफ वासेपुर के फहीम खान के खिलाफ की गई थी। 

11 दिसंबर 2013 को दर्ज हुआ था फहीम पर मामला

इस मामले में 11 दिसंबर 2013 को बैंक मोड़ के तत्कालीन थाना प्रभारी रमेश कुमार के स्वलिखित बयान पर हजारीबाग जेल मे बंद फहीम खान के विरुद्ध बैंक मोड़ थाना में कांड संख्या 274/13 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में पुलिस ने आरोप लगाया था कि जेल में बंद फहीम ठेकेदारों एवं कारोबारियों से रंगदारी की मांग रहा है, जिस कारण कारोबारियों में दहशत मची है।

26 फरवरी 2016 में दर्ज हुआ था इकबाल पर मामला

इधर फहीम के बड़े बेटे इकबाल खान के विरुद्ध 26 फरवरी 2016 को बैंक मोड़ के तत्‍कालीन थाना प्रभारी अशोक सिंह की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में कहा गया था कि 26 फरवरी की शाम 7:00 बजे इकबाल खान ने वासेपुर आरा मोड़ के समीप भीड़-भाड़ वाले इलाके में छह राउंड गोली फायर की थी, जिससे वहां के स्थानीय लोगों व दुकानदारों में दहशत फैल गई थी। हालांकि दोनों ही मामले कोर्ट में साबित नहीं हो सके।

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