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घरेलू पक्षियों से यूरोप में तेजी से पांव पसार रही एक नई जानलेवा बीमारी, इतने लोगों की ले चुकी है जान

घरेलू पक्षियों से यूरोप में तेजी से पांव पसार रही एक नई जानलेवा बीमारी, इतने लोगों की ले चुकी है जान

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Health alert, Sitakoshish disease, A new deadly disease is spreading rapidly in Europe, has taken the lives of so many people so far : ‘सिटाकोसिस’ नामक नई बीमारी से यूरोप में हड़कंप मच गया है। यह बीमारी कई लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है। तेजी से बढ़ रही इस बीमारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि जीवाणु संक्रमण – जिसे ‘पैरट फीवर’ भी कहा जाता है ने कई यूरोपीय देशों में रहने वाले लोगों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इसका प्रकोप सबसे पहले 2023 में देखा गया था। यह इस वर्ष की शुरुआत तक जारी रहा और अब तक 50 लोगों की जान ले चुका है। अधिकांश लोगों में जंगली और घरेलू पक्षियों के संपर्क में आने से यह बीमारी फैली है। डब्ल्यूएचओ ने बताया कि फरवरी 2024 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्वीडन व नीदरलैंड ने यूरोपीय संघ के ‘प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया प्रणाली से बताया कि 2023 और 2020 में सिटाकोसिस के मामलों में वृद्धि देखी गई है। 

सिटाकोसिस क्या है?

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार क्लैमाइडिया सिटासी एक प्रकार का बैक्टीरिया है,जो पक्षियों को संक्रमित करता है। यह बैक्टीरिया लोगों को भी संक्रमित कर सकता है और ‘सिटाकोसिस’ नामक बीमारी का कारण बन सकता है। यह हल्की बीमारी या निमोनिया (फेफड़ों का संक्रमण) का कारण बन सकता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए पक्षियों और पिंजरों को संभालते और साफ करते समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि एक संक्रमित पक्षी हमेशा बीमार नहीं लग सकता है, लेकिन जब वह सांस लेता है या शौच करता है तो वह बैक्टीरिया छोड़ सकता है।

मानव संक्रमण कैसे होता है?

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मानव संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित पक्षियों के स्राव के संपर्क से होता है। यह ज्यादातर उन लोगों से जुड़ा है जो उन क्षेत्रों में पालतू पक्षियों, पोल्ट्री श्रमिकों, पशु चिकित्सकों, पालतू पक्षी मालिकों और बागवानों के साथ काम करते हैं जहां सी. सिटासी देशी पक्षी आबादी में ‘एपिज़ूटिक’ है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सी. सिटासी 450 से अधिक पक्षी प्रजातियों से जुड़ा है। यह कुत्तों, बिल्लियों, घोड़ों, सूअर और सरीसृपों जैसी विभिन्न स्तनधारी प्रजातियों में भी पाया गया है। पक्षी, विशेष रूप से पालतू पक्षी (सिटासाइन पक्षी, फिंच, कैनरी और कबूतर) अक्सर मानव साइटासोसिस पैदा करने में शामिल होते हैं। मनुष्यों में रोग का संचरण मुख्य रूप से श्वसन स्राव, सूखे मल अथवा पंख पर जमे धूल से होता है। इसमें कहा गया है कि संक्रमण होने के लिए पक्षियों के साथ सीधे संपर्क की आवश्यकता नहीं है। 

इस बीमारी के लक्षण और इससे बचने के उपाय

WHO के अनुसार इस बीमारी से ग्रसित होने पर संबंधित व्यक्ति को बुखार के साथ ठंड लगती है। सर में तेज दर्द होता है। खांसी सूख जाती है और मांसपेशियों में दर्द होता है।

डब्ल्यूएचओ की सलाह

✓आरटी-पीसीआर का उपयोग करके निदान के लिए सी. सिटासी के संदिग्ध मामलों का परीक्षण करने के लिए चिकित्सकों की जागरूकता बढ़ाना।

✓पिंजरे में बंद या घरेलू पक्षी मालिकों के बीच जागरूकता बढ़ रही है कि रोगज़नक़ स्पष्ट बीमारी के बिना भी फैल सकता है।

✓नव अधिग्रहीत पक्षियों को संगरोधित करना। यदि कोई पक्षी बीमार है तो जांच के लिए पशुचिकित्सक से संपर्क करें।

✓जंगली पक्षियों में सी. सिटासी की निगरानी करना, जिसमें संभावित रूप से अन्य कारणों से एकत्र किए गए मौजूदा नमूने भी शामिल हैं।

✓पालतू पक्षियों वाले लोगों को पिंजरों को साफ रखने के लिए प्रोत्साहित करना; पिंजरों को इस प्रकार रखें कि मल उनके बीच न फैल सके और अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले पिंजरों से बचें।

✓अच्छी स्वच्छता को बढ़ावा देना, जिसमें पक्षियों, उनके मल और उनके वातावरण को संभालते समय बार-बार हाथ धोना शामिल है।

✓अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए मानक संक्रमण-नियंत्रण प्रथाओं और बूंदों के संचरण संबंधी सावधानियों को लागू किया जाना चाहिए।

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