Health and lifestyle tips : आज के दौर में शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जो किसी न किसी प्रकार के टेंशन से न गुजरता हो। टेंशन इस तरह हावी हो रहा है कि आदमी हंसना भूल गया है, जबकि वास्तविकता यह है कि हंसी से हम टेंशन को कम कर सकते हैं।
नो थॉट की स्थिति
हंसने वाला व्यक्ति तत्क्षण ‘अ-मन’ अर्थात ‘नो थॉट स्टेट’ की अवस्था में पहुंच जाता है जो ध्यान की ही अवस्था होती है। यहाँ प्रश्न उठ सकता है कि ‘अ-मन’ की अवस्था में हँसी का नकारात्मक प्रभाव क्यों नहीं पड़ता? कारण स्पष्ट है कि ‘अ-मन’ की अवस्था में हम सुख-दु:ख, राग-द्वेष आदि परस्पर विरोधी भावनाओं से पूर्णत: मुक्त हो जाते हैं। ऐसी अवस्था परमानंद की अवस्था होती है अत: नकारात्मक प्रभाव पड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।वैसे भी हँसने का संबंध प्रसन्नता से है। जब हम प्रसन्न होते हैं तभी हँसते हैं। ऐसा हमारी सहस्राब्दियों की कंडीशनिंग के कारण भी होता है अत: यदि हम बिना बात भी हंसेंगे तो स्वाभाविक रूप से प्रसन्नता की प्राप्ति होगी और प्रसन्नता की मनोदशा में शरीर की जीव-रासायनिक संरचना में स्वास्थ्य के अनुकूल परिवर्तन होगा।योग और हास्य ‘योगसूत्र’ में महर्षि पतंजलि ने योग की जो परिभाषा दी है वह है ‘योग: चित्तवृत्ति निरोध:’ अर्थात् चित्त वृत्तियों पर नियंत्रण ही योग है।
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मत भूलिए खिलखिलाना
हास्य में विशेष रूप से खिलखिलाकर हंसने अथवा ज़ोरदार ठहाका लगाने की अवस्था में हम अपने मन की चंचलता पर पूर्ण रूप से नियंत्रण कर पाते हैं चाहे वह क्षणिक ही क्यों न हो।मन की चंचलता पर वह क्षणिक नियंत्रण एक अद्वितीय घटना है। मनुष्य के लिए, उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक लाभप्रद स्थिति है। हास्य वास्तव में इंस्टेंट योग की अवस्था है। इन क्षणों की जितनी अधिक पुनरावृत्ति होगी, उतना ही हम योगमय जीवन के निकट होते चले जाएंगे। योगाभ्यास में हम क्रम से चलते हैं। पहले यम और नियम का पालन करना सीखते हैं, फिर विभिन्न योगासनों और प्राणायाम के विभिन्न प्रकारों का अभ्यास करते हैं। तत्पश्चात् प्रत्याहार और धारणा की अवस्थाओं से गुजऱते हुए ध्यान की अवस्था में पहुंच जाते हैं लेेकिन एक ज़ोरदार ठहाका अथवा अट्टहास हमें सीधे ध्यानावस्था के निकट ले जाकर छोड़ देता है।
हंसी एक क्षणिक घटना
हंसी एक क्षणिक सी घटना है लेकिन शरीर और मन पर इसका प्रभाव निरंतर आधा-पौना घंटे तक बना रहता है। हनसने से व्यायाम के लाभ भी मिलते हैं। ज़ोर से हंसने पर श्वास-प्रक्रिया भी प्रभावित होती है अत: योगासन और प्राणायाम, दोनों का अभ्यास इस क्रिया में हो जाता है। हँसने से शरीर में अतिरिक्त कैलोरीज़ के ख़र्च हो जाने से वजऩ को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है। पूरे शरीर में रक्त-प्रवाह बढ़ जाने से शरीर में तथा विशेष रूप से चेहरे की मांसपेशियों में ताजग़ी उत्पन्न होती है। योग एक सम्पूर्ण उपचार पद्धति है। हास्य भी किसी प्रकार योग से कम नहीं बैठता, इसलिए हास्य द्वारा चिकित्सा को ‘हास्य योग’ से अभिहित किया जाता है। एक उपचारक प्रक्रिया है हास्य एक संपूर्ण व्यायाम है जिससे शरीर की सभी नाड़ियां खुलती हैं तथा शरीर की थकावट दूर होकर ताजग़ी उत्पन्न होती है। खुलकर हंसने से फेफड़ों, गले और मुंह की अच्छी कसरत हो जाती है।