Health news: गॉल-ब्लैडर यानी कि पित्त की थैली में पथरी का होना अब सामान्य सी बात हो गई है। हर उम्र वर्ग के असंख्य लोग इस समस्या से ग्रसित हैं। यह शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है, जो पेट के ऊपरी दाएं भाग में जिगर के ठीक नीचे होता है। पित्त जिगर में बनता है और फिर पित्त की थैली में आता है, जहां से एक पतली नली द्वारा यह छोटी आंत में जाता है। पित्त भोजन में ली गई वसा को पचाने का काम करता है। जब-जब आंत को पित्त की जरूरत पड़ती है तब तब पित्त की थैली सिकुड़ जाती है। थैली के सिकुडऩे से उसमें मौजूद पित्त नली के जरिए आंत में चला जाता है। थैली के रिक्त स्थान में फिर जिगर से नया पित्त आ जाता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। पित्त में मुख्यत: पानी के अलावा बाइल एसिड और कोलेस्ट्रॉल भी एक निश्चित मात्रा में मौजूद रहता है। जब किन्हीं कारणों से पित्त के तत्वों का अनुपात असंतुलित हो जाता है तब थैली में पथरी हो जाती है। अगर सही समय पर इसकी जानकारी मिल गई तो इलाज सहज हो जाता है, अन्यथा कालांतर में यह कई परेशानियों का सबब बन जाता है। आपके गॉल ब्लैडर में पथरी है, इसकी जानकारी आपको कैसे मिलेगी, इसके क्या लक्षण हैं, आइए आज इसपर फोकस करें…
जब ब्लैडर में सूजन और पेट के दाएं तरफ पसलियों के नीचे असह्य दर्द उठता है
जब ब्लैडर में सूजन और पेट के दाएं तरफ पसलियों के नीचे असह्य दर्द उठता है तो जांच में पथरी होने का पता चलता है। दर्द ऐसा कि मरीज छटपटा उठता है। दर्द ऐसा कि सामान्य प्रचलित दर्द निवारक गोलियां बेअसर हो जाती हैं। यह दर्द प्राय: रात को उठता है और देर तक सताता है। फिर स्वयं ही शांत हो जाता है, लेकिन यह फिर कभी भी अटैक कर सकता है।
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पथरी के कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें अपेक्षाकृत दर्द तो नहीं होता
पथरी के कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें अपेक्षाकृत दर्द तो नहीं होता, परंतु उन्हें बदहज़मी और खट्टी डकारों की शिकायत रहती है। यह समस्या तब ज्यादा होती है जब तला-भुना, अधिक वसा वाला भोजन खा लें। ऐसे में मरीज को लगता है कि पेट भरा है। खट्टी डकारें आती हैं और सीने में जलन होती हैं। इसे भी हल्के में लेने की गलती न करें, समस्या पुरानी होने पर ब्लैडर फूलकर फट भी सकता है, जो बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है।
जब ब्लैडर शरीर के लिए बेमतलब हो जाता है
कुछ परिस्थितयां ऐसी होती हैं, जब ब्लैडर सिकुड़कर छोटा और शरीर के लिए बेमतलब हो जाता है। चूंकि, इससे तात्कालीक कोई परेशानी नहीं होती, अत: मरीज को इसका पता भी नहीं चलता। लेकिन जब किसी भी कारण से अल्ट्रासाउंड आदि कराने की नौबत आती है तो यह सामने आता है। यह स्थिति आगे चलकर कैंसर में परिणत हो सकता है, जो बड़ी मुसीबत बन जाता है। ऐसे में जब आपको यह पता चला कि पित्त में पथरी है, चाहे वह तकलीफदेह ही क्यों न हो, ऑपरेशन के माध्यम से उसे निकलवा देने की सलाह डाक्टर देते हैं।
पित्त आपूर्ति करने वाली नली भी पथरीग्रस्त हो जाती है
जब गॉल-ब्लैडर में पथरी होती है तो पित्ताशय से छोटी आंत तक पित्त की आपूर्ति करने वाली नली (वाहिका) भी पथरीग्रस्त हो जाती है। इसे बाइल डक्ट कहते हैं। पित्ताशय का आपरेशन हो तो साथ में बाइल डक्ट का भी सफाया जरूरी है अन्यथा बाद में फिर एक आपरेशन बाइल डक्ट के लिए भी कराना पड़ सकता है।
आपरेशन के बाद ठीक होने में एक सप्ताह से 15 दिन तक का समय लगता है
40 वर्ष आयु तक के स्वस्थ व्यक्ति को आपरेशन के बाद ठीक होने में एक सप्ताह से 15 दिन तक का समय लगता है। इससे अधिक उम्र के व्यक्ति को ज्यादा समय लग सकता है। अगर मरीज अत्यंत वृद्ध और दुर्बल हो तो ऑपरेशन कराना खतरनाक है। ऐसे मरीज के लिए शॉक-वेव लिथोट्रिप्सी तकनीक से पथरी का चूरा बनाया जाता है।