Mother is mother. No one can take her place : मां मां होती है। दुनिया में कोई भी उसकी जगह नहीं ले सकता। भगवान के बाद इस धरती पर मां ही सबसे पहले महान है। मां की ममता अतुलनीय है। उम्र की हर दहलीज के पार है। अपने बच्चे के लिए वह कोई भी त्याग करने को खुशी से तैयार हो जाती है, भले इसके लिए उसकी खुद की जिंदगी की कुर्बानी ही क्यों न देनी पड़े। बेटे के लिए मां कुछ भी करने से पीछे नहीं हट सकती। इसका ताजा उदाहरण महाराष्ट्र के नवी मुंबई में हाल में देखने को मिला है। यहां एक 81 साल की बूढ़ी मां ने अपने 56 साल के बेटे को किडनी दान कर उसे नयी जिंदगी दी है। इस मां ने समाज के सामने अद्वितीय मिसाल रखी है। बेशक मां का यह त्याग प्रेरणा भी देता है और समाज में मां की महान भूमिका भी स्थापित करता है।
ऐसा किडनी दान का पहला मामला
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में जब एक परिवार में 56 साल के बेटे पर स्वास्थ्य का संकट आया तो उस बेटे की 81 साल की मां ने अपनी किडनी देकर लाड़ले की जान बचाने में जरा भी देर नहीं की। नवी मुंबई के अपोलो अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि 81 वर्ष की उम्र में किडनी दान का यह देश का पहला मामला है।
सप्ताह में 4 बार होती थी डायलिसिस
56 साल के राजेन शशिकांत शाह को 2020 में अचानक किडनी की तकलीफ हुई। इसके बाद उन्हें सप्ताह में चार बार डायलेसिस कराने पड़ रहे थे। इससे निजात पाने के लिए डॉक्टरों ने हाल ही में उन्हें किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी। फिर परिजनों ने राजेन शाह के लिए किडनी डोनर की तलाश शुरू की, लेकिन उनकी बुजुर्ग मां कला शशिकांत शाह अपने बेटे के लिए किडनी देने को तैयार हो गईं। उनकी इस पहल पर डॉक्टर भी भौंचक रह गए।
ज्यादा उम्र के कारण ट्रांसप्लांटेशन का काम कठिन था, पर डॉक्टरों ने कर दिखा
कला शाह की उम्र ज्यादा होने को लेकर डॉक्टरों को कुछ संदेह हुआ, लेकिन उनके कुछ टेस्ट किए गए, इसमें उनकी किडनी उपयुक्त पाई गईं। इसके बाद डॉक्टर भी इसके लिए तैयार हो गए। आखिरकार मां की किडनी बेटे के शरीर में सफलापूर्वक प्रत्यारोपित कर दी गई। मां भी अस्वस्थ हैं और बेटा भी।