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आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं, बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं,आप भी करिए…

आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं, बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं,आप भी करिए…

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Mumbai news, Bollywood news : आदमी होने के लिए आदमी से प्यार करना जरूरी है वरना आदमियत की सार्थकता समाप्त हो जाती है। साहित्य की दुनिया में कला की उत्कृष्टता मानव हित का पोषक है और हिंदी साहित्य के गीतों और कविताओं की दुनिया में गोपाल दास ‘नीरज’ एक ऐसा नाम है, जिसने मानवता के लिए प्यार को जरूरी शर्त बना दिया। प्यार नहीं तो मानवता नहीं और प्यार के बिना हर जीवन अधूरा है, यही दर्शन नीरज यानी गोपालदास नीरज की कविता और फिल्मों में लिखे गए गीतों में भी समाहित है। जब वह अपने एक गीत में लिखते हैं- आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं, बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, तो प्यार की पवित्रता अपने व्यापक फलक पर स्थापित हो जाती है। आज हम बात कर रहे हैं हिंदी और फिल्मी गीतों के राजकुमार गोपाल दास नीरज की की।

फूफा ने किया पालन-पोषण

हिंदी के आल्हा गीतकार नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा के पुरावली गांव में हुआ था। जब नीरज 6 वर्ष के ही थे, उनके पिता बाबू ब्रजकिशोर की मृत्यु हो गई। गोपालदास का पालन-पोषण उनके फूफा बाबू हरदयाल प्रसाद के पास एटा में किया। 19 जुलाई 2018 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, लेकिन उनके लिखे हिंदी के गीत और फिल्मों में लिखे गीत आज भी लोगों के मन में जिंदा हैं।

प्यार के दुख ने बना दिया कवि

उनके समकालीन कवियों और साहित्यकारों से मिली जानकारी के अनुसार,  गीतकारों और कवियों की दुनिया में नीरज जी का नाम बड़े ही अदब से लिया जाता है। जैसे उनके गीतों में जादू था, एक चमत्कार था, वैसा ही उनका जीवन भी कम रोचक नहीं था. गोपालदास नीरज को प्यार-मोहब्बत से भरे गीतों के लिए जाना जाता है। मदहोश हुआ जाए रे, दिल आज शायर है, खिलते हैं गुल यहां, लिखे जो खत तुझे जैसे प्यार भरे नगमें लिखने वाले नीरजजी भी कच्ची उम्र में ही दिल दे बैठे थे। जब नीरज हाई स्कूल में पढ़ते थे और पढ़ाई के दौरान ही उनकी एक लड़की से आंखें चार हो गईं। लेकिन, उनका प्यार परवान नहीं चढ़ सका और लड़की की शादी कहीं और हो गई। वह दुखी अवश्य हुए लेकिन उसे दुख ने उन्हें बड़ा कवि बना दिया।

3 साल तक लगातार पाया फिल्मफेयर अवार्ड

नीरज ने लगभग सात दशक तक कवि सम्मेलनों में बादशाहत की। हरिवंश राय बच्‍चन, रामधारी सिंह दिनकर, बालकृष्‍ण शर्मा नवीन जैसे कवियों के दौर में नीरज ने मंचों पर अपनी अलग पहचान स्थापित की। उन्होंने कुछ वक्त तक फिल्मों के लिए भी गीत लिखे. ये गीत आज भी चाव से सुने जाते हैं। 1970 के दशक में लगातार तीन वर्षों तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1970 में आई प्रेम पुजारी का एक और रोमांटिक गाना- शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब, उससे जो नशा हो तैयार, वो प्यार है। इसका संगीत एसडी बर्मन ने तैयार किया था जिसे किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने गाया था।

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