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बॉलीवुड में शोमैन का मतलब होता है राज कपूर, लेकिन क्या आपने इस शौमैन को…

बॉलीवुड में शोमैन का मतलब होता है राज कपूर, लेकिन क्या आपने इस शौमैन को…

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Mumbai news, Bollywood news : यदि बॉलीवुड की दुनिया में शोमैन की चर्चा होती है, तो सबसे पहले राज कपूर का नाम इस देश में ही नहीं, विदेश में भी लिया जाता है। वाकई उनका रुतबा शोमैन का था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके बाद भी मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में एक शौमैन हुआ, जिसका नाम सुभाष घई है। सुभाष घई ने चार दशकों तक अपनी सफलता का परचम बॉलीवुड में बड़ी शान से लहराया। आज भी वह एक्टिव हैं, लेकिन 80 साल की उम्र में अब वह ऊर्जा नहीं बची है, जो कभी कालीचरण, कर्ज, हीरो, खलनायक और सौदागर जैसी फिल्मों में दिखता था। याद कीजिए, बॉलीवुड में एक एक्टर बनने की हसरत लिए आए इस शख्स ने कैसे निर्देशन के क्षेत्र में बड़ा झंडा गाड़ दिया।

सबको पेश किया नए अंदाज में

कालीचरण में उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा को एक नए अंदाज में पेश किया। कर्ज में उन्होंने ऋषि कपूर को एक नए अंदाज में पेश किया। हीरो में उन्होंने जैकी श्रॉफ को एक नए अंदाज में पेश किया। खलनायक में उन्होंने संजय दत्त को एक नए अंदाज में पेश किया और सौदागर का तो कहना ही क्या है। 32 वर्षों के बाद फिल्मी दुनिया के दो ऐसे दिग्गजों को एक साथ एक्टिंग के मैदान में उतारा और वे दिग्गज एक्टर हैं राजकुमार और दिलीप कुमार।

1991 में आई थी फिल्म सौदागर

1991 में बॉलीवुड के सिल्वर स्क्रीन पर सौदागर फिल्म आई थी। इसका निर्देशन और निर्माण सुभाष घई न्यू शानदार अंदाज में किया। इसमें हिन्दी सिनेमा के दो वरिष्ठ अभिनेता दिलीप कुमार और राज कुमार मुख्य भूमिकाओं में हैं। ये पैगाम (1959) के बाद दूसरी फिल्म थी जिसमें दोनों नजर आए। ये दो नए कलाकार विवेक मुशरान और मनीषा कोइराला की पहली फिल्म थी। विवेक मुशरान तो बहुत नहीं चले लेकिन मनीषा कोइराला ने इसके बाद कई सफल फिल्में दी।

5-6 फिल्मों में बने थे हीरो

सुभाष ने खुद अपने बारे में बताया है कि जब इंडस्ट्री में आया तो छोटे रोल से करियर की शुरुआत की। ‘आराधना’ और ‘उमंग’ में थोड़े बड़े रोल किए। 5-6 फिल्मों में हीरो भी बना। जब एक्टिंग कर रहा था, तब मुझे एहसास हुआ कि जो लाइंस बोल रहा हूं, वह किसी और ने लिखी हैं। डायरेक्टर मुझे प्रजेंट कर रहा है। लाइटिंग, मेकअप और वेशभूषा दूसरे लोग कर रहे हैं। गाना कोई और गा रहा है, मैं सिर्फ लिप्सिंक कर रहा हूं। मुझे सितारा कहा जा रहा है। मैं अपनी मिथ्या में जी रहा हूं। इन सब विषयों में सोचने के बाद उन्होंने अकेले में पहले स्क्रिप्ट लिखना शुरू किया और उसके बाद सिनेमा के निर्देशन की दुनिया में उतरकर ऊंचा मुकाम हासिल किया।

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