यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से यूरोपीय बाजारों में रूसी कोयले की मांग बहुत कम होती जा रही है। यूरोप रूसी कोयले के लिए एक आकर्षक बाजार है, परंतु अब रूस अगस्त से यहां अपना कोयला नहीं बेच पाएगा। रूस को अब भारत जैसे कम आकर्षक बाजारों की तरफ मुड़ना मजबूरी बन गया है। भारत को इससे काफी फायदा हो रहा है, क्योंकि रूस उसे काफी सस्ती दर पर कोयला बेच रहा है।
जर्मनी अभी भी खरीद रहा रूस से कोयला
रूसी कोयला भंडार के दो अधिकारियों ने बताया कि यूरोप के बाजारों में रूसी कोयले को बहुत ऊंचे मूल्य पर खरीदा जाता है। लेकिन यूक्रेन पर रूस द्वारा किए गए हमले के बाद वहां हाल के दिनों में कोयले की बिक्री में भारी गिरावट आ गई है। रूसी कोयला अधिकारियों ने बताया कि जर्मनी अभी भी रूसी कोयला खरीद रहा है, लेकिन पोलैंड ने रूसी कोयले की खरीद अप्रैल में बंद कर दी है।
अगस्त में यूरोप जाना बंद हो जाएगा कोयला
यूरोपीय देश रूस पर प्रतिबंधों के कारण अगस्त से रूसी कोयला खरीदना बंद कर देंगे। इसके बाद यूरोप अपने जरूरत के लिए कोयला दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से ले सकता है। इस बीच रूस भी अपने कोयले के लिए बाजार तलाश रहा है। भारत के रूप में रूसी कोयले को एक बड़ा बाजार मिल गया है, किंतु यहां रूसी कोयले को उतनी कीमत नहीं मिलती, जितनी यूरोप के बाजारों में मिलती है। भारत रूस से कम कीमत पर बेहद कम कोयला खरीदता है। हालांकि हाल के दिनों में भारत ने रूसी कोयले की खरीद में भारी बढ़ोतरी की है।
20 दिनों में भारत में 6 गुना ज्यादा कोयला खरीदा
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के अप्रकाशित डेटा के अनुसार 20 दिनों में ही रूस से कोयला और संबंधित उत्पादों की खरीद में भारत ने 6 गुना की बढ़ोतरी की है। इस मामले एक सूत्र ने बताया कि ‘रूस के व्यापारी पेमेंट को तरीकों को लेकर काफी उदार हैं और वो भारतीय रुपयों और यूएई के दिरहम में व्यापार कर रहे हैं। रूस की तरफ से मिल रहा डिस्काउंट काफी आकर्षक है और रूस से अधिक कोयला खरीदने का ये ट्रेंड अब थमने वाला नहीं है।
रूस कोयले का तीसरा बड़ा निर्यातक देश
रॉयटर्स के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले तीन महीनों में भारत ने जितना कोयला रूस से खरीदा था उसका दोगुना तीन हफ्तों के अंदर ही खरीद लिया है। भारत-रूस के बीच कोयले का ये व्यापार बढ़ता ही जा रहा है। रूस दुनिया के शीर्ष तीन कोयला निर्यातक देशों में से एक है। लेकिन वो अपने इस बड़े उद्योग को प्रतिबंधों से बचा पाने में नाकाम दिख रहा है। युद्ध के कारण रूस का स्टील उद्योग भी प्रभावित हो रहा है। लेकिन रूस ने पैलेडियम धातु का खनन कम नहीं किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि इस उद्योग पर युद्ध के प्रतिबंधों का असर बेहद कम पड़ा है।