Global News, international news, Spain news, painting, painting world: यह कहना गलत नहीं होगा कि पिकासो दुनिया की चित्रकारी जगत के इतिहास में सबसे महान चित्रकार हुए हैं। स्पेन के इस महान चित्रकार पाब्लो पिकासो की सबसे बेहतरीन कृतियों में से एक पेंटिंग करीब 14 करोड़ डॉलर यानी 139.3 मिलियन डॉलर (लगभग 1150 करोड़) में बिकी है। अमेरिकी ऑक्शन कंपनी सोथबी के मुताबिक यह पेंटिंग 1932 की मशहूर पेंटिंग ‘वुमन विद अ वॉच’ है। जानकारी के अनुसार यह पिकासो की किसी पेंटिंग के लिए चुकाई गई दूसरी सबसे ऊंची कीमत है। इस पेंटिंग में पिकासो की प्रेमिका को दिखाया गया है। वह फ्रांस की मॉडल थी, जिनका नाम ‘मरी तेरेस वेल्टर’ था। इस पेंटिंग में उनकी पिकासो ने उनकी प्रेमिका की खूबसूरती को दिखाया है।
आनंदमय, भावुक त्याग से भरी है 1932 में बनी पेंटिंग
यह पेंटिंग बुधवार रात न्यूयॉर्क में सोथबी द्वारा नीलामी में बेची गई है। इस पेंटिंग में बनी महिला स्पेनिश कलाकार के साथियों और संगीतकारों में से एक, फ्रांसीसी चित्रकार मैरी-थेरेसी वाल्टर हैं। सोथबी के अनुसार, ब्लॉक पर जाने से पहले इसकी कीमत 120 मिलियन डॉलर से अधिक थी। आधुनिक कला के प्रमुख जूलियन डावेस ने पिकासो की पेंटिंग को हर पैमाने पर उत्कृष्ट कहा। उन्होंने कहा कि सन् 1932 में बनाई गई पेंटिंग आनंदमय, भावुक त्याग से भरी हुई है।
बैले डांसर ओल्गा खोखलोवा से शादी की थी पिकासो ने
वाल्टर को पिकासो का गोल्डन म्यूज माना जाता था। गुरुवार को क्रिस्टीज में उनकी एक और कृति की नीलामी चल रही थी। इसका नाम फेमे एंडोर्मी या स्लीपिंग वुमन था। बताया जा रहा है कि यह पेंटिंग 25 से 35 मिलियन डॉलर में बिकी है। वाल्टर की मुलाकात पिकासो से सन् 1927 में पेरिस में हुई थी। जब वॉल्टर 17 साल के थे, उस समय पिकासो ने रूसी-यूक्रेनी बैले डांसर ओल्गा खोखलोवा से शादी की थी। 1973 में 91 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। उनकी मृत्यु के 50 साल बाद भी पिकासो आधुनिक दुनिया के सबसे प्रभावशाली कलाकारों में से एक बने हुए हैं।
नाम भी कमाया, बदनाम भी हुए
पिकासो अपनी कला के बिल पर पूरी दुनिया मे नाम कमाया। इससे इतर यौन उत्पीड़न और मी टू आंदोलन के कारण उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो गई है। पश्चिमी मीडिया की कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पिकासो एक ही समय पर कई महिलाओं के साथ रिश्ते में थे। वे या तो उनका बेहद सम्मान करते थे या उन पर अत्याचार करते थे। उन्हें अपने बराबर नहीं समझते थे।