International news, Global News, America news and story : अमेरिका के रिचर्ड जोन्स को हमशक्ल होने की ऐसी सजा मिली, जिसकी परिकल्पना मात्र कर आप सिहर जाएंगे। डकैती के एक मामले में 45 वर्षीय रिचर्ड 17 वर्षों तक सलाखों के पीछे रहना पड़ा, जबकि यह अपराध उसने नहीं, बल्कि उसके एक हमशक्ल रिकी अमोस ने किया था। हालांकि किस्मत लगभग डेढ़ वर्ष बाद ही सही उसका साथ दिया और उसकी रिहाई हुई। जब सच्चाई सामने तो पुलिस को अभियुक्त को पहचानने और न्यायालय को अपने इस न्याय पर बेहद दुख हुआ और उसे बतौर मुआवजा आठ करोड़ रुपए दिए गए।
जेल जाने के बाद कई बार अपील भी काम न आया
डकैती के झूठे मामले में जेल जाने के बाद खुद को बेगुनाह साबित करने की रिचर्ड ने पुरजोर कोशिश की। कई बार सक्षम प्राधिकार के पास उसने अपील की परंतु उसकी एक न सुनी गई। वह साक्ष्य के अभाव में खुद को यह साबित न कर सका कि अपराध उसने नहीं बल्कि उसके हमशक्ल रिकी अमोस ने किया है।
मिडवेस्ट इनोसेंस प्रोजेक्ट ने की रिचर्ड की मदद
रिचर्ड के मामले में मिडवेस्ट इनोसेंस प्रोजेक्ट और यूनिवर्सिटी ऑफ कंसास स्कूल ऑफ लॉ ने रेल रिचर्ड के इस केस में उसकी मदद की। पूरे मामले की जांच-पड़ताल की तो पता चला कि रिचर्ड का हमशक्ल रिकी भी उसी जेल में बंद है। उसे एक दूसरे मामले में सजा हुई थी। यह सच्चाई सामने आने पर डकैती की पीड़िता महिला और चश्मदीदों को रिचर्ड और रिकी से आमना- सामना कराया गया। दोनों की शक्ल इतनी मिलती-जुलती थी कि लोग हैरान रह गए और रिचर्ड बेकसूर साबित हुआ और 2017 में उसे रिहा किया गया।