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🗓️ Mon, Apr 7, 2025 🕒 8:47 PM

और अब पाकिस्तान में चीन के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू, सीपीईसी के विरोध में बेमियादी धरना शुरू

और अब पाकिस्तान में चीन के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू, सीपीईसी के विरोध में बेमियादी धरना शुरू

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चालबाज चीन और पाकिस्तान की गाढ़ी दोस्ती अब कमजोर होती दिख रही है। क्योंकि पाकिस्तान में चीन के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक दिया गया है। इस कारण पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ सरकार की दिक्कतें बढ़ गई हैं। पाकिस्तान के ग्वादार में चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजनाओं के विरोध में गुरुवार से बेमियादी धरना शुरू हो गया है। चीन के विरुद्ध आंदोलन की घोषणा स्थानीय जन संगठन ‘ग्वादार को हक दो तहरीक’ ने की है। तहरीक के नेता मौलाना हिदायत उर रहमान ने गुरुवार से धरना शुरू कर दिया है। बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अनिश्चितकाल तक धरना चलने की बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक शहबाज शरीफ की सरकार गहरे समुद्र में मछली मारने वाली मशीनी नौकाओं पर रोक लगाने में नाकाम रही है।

ग्वादर बंदरगाह के कामकाज को ठप करने की चेतावनी

रहमान ने पाकिस्तान सरकार से मांग की है कि गहरे समुद्र में मछली मारने पर पूरी तरह रोक लगाए। सीमा के आर-पार कारोबार की छूट दे, ताकि स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी चल सके। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनके संगठन की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो ग्वादर बंदरगाह के निर्माण कार्य को पूरी तरह से रोक दिया जाएगा। रामायण की इस चेतावनी के बाद पाकिस्तान सरकार की इस इलाके में चीनी परियोजनाओं को निर्बाध रूप से आगे बढ़ाने की मंशा को गहरा चोट पहुंचा है। आपको बता दें कि आंदोलन और आतंकवादी हमलों के कारण इन परियोजनाओं पर काम की गति पहले से ही काफी धीमी हो चुकी है।

लोगों की चिंता दूर करने में पाकिस्तानी सरकार विफल

पाकिस्तान में चल रही चीन की परियोजनाओं का विरोध करने वाले संगठनों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने में अब तक विफल साबित हुई है। समुद्री क्षेत्र में मशीनी नौकाओं से गैर कानूनी रूप से मछली मारने का धंधा बदस्तूर जारी है। इससे स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर बहुत बुरा असर पड़ा है। इन संगठनों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि चीनी परियोजनाओं के कारण इस क्षेत्र में पानी और वातावरण खराब होता जा रहा है। यहां के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रहमान के संगठन का आंदोलन लंबे समय तक चला दो बंदरगाह की गतिविधियां बाधित हो सकती हैं। मालूम हो कि इस बंदरगाह के निर्माण के लिए चीन ने अरबों डॉलर का निवेश किया है।

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