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Data Leak: स्विस बैंक के 18,000 खातों की जानकारी लीक, मची खलबली

Data Leak: स्विस बैंक के 18,000 खातों की जानकारी लीक, मची खलबली

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स्विस बैंकों के क्लाइंट रोस्टर्स विश्व के सबसे बड़े रहस्यों में से एक हैं। इनमें विश्वभर के कुछ सबसे अमीर लोगों के नाम हैं और साथ ही ये इस बात का भी सुराग दे सकते हैं कि उन्होंने यह धन कैसे जमा की। तो बड़ी खबर यह है कि दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बैंकों में से एक क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) से काफी असाधारण व अहम डेटा लीक हो गया है। इस लीक हुए डेटा से पता चला है कि कैसे बैंक ने राज्यों के प्रमुखों, खुफिया अधिकारियों, व्यापारियों व मानवाधिकारों का हनन करने वालों के अलावा कई अन्य लोगों के लिए सैकड़ों मिलियन डॉलर अपने पास रखे।

इन खातों में 108 डालर की रकम

एक मुखबिर ने 18,000 से अधिक बैंक खातों के आंकड़े लीक किये हैं। इन खातों में कुल 100 अरब डॉलर की रकम बताई गई है। इस मुखबिर ने एक जर्मन अखबार को ये आंकड़े लीक किए। इस अखबार ने एक गैर-लाभकारी पत्रकारिता समूह ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट सहित दुनियाभर के 46 अन्य मीडिया संस्थानों से ये आंकड़ें साझा किये हैं।

1940 से 2010 तक के खातों का है आंकड़ा

1940 से लेकर 2010 तक के खातों के आंकड़े लीक
इस डेटा में 1940 के दशक में खुले खातों से लेकर 2010 के दशक तक के खातों का रिकॉर्ड है। लेकिन बैंक के मौजूदा परिचालन की जानकारी नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, क्रेडिट सुइस खातों में जिन लोगों के लाखों डॉलर जमा हैं, उनमें जॉर्डन के किंग अबदुल्ला द्वितीय और मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के दो बेटे भी शामिल हैं। इसी तरह अन्य खाताधारकों में एक पाकिस्तानी खुफिया प्रमुख का बेटा शामिल है, जिसने 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों से अफगानिस्तान में मुजाहिदीन को अरबों डॉलर की मदद की थी।

संदिग्ध गतिविधियों वालों का भी खोला खाता

इस डेटा लीक से पता चलता है कि क्रेडिट सुइस ने न केवल अमीरों के लिए खाते खोले और उनको सेवाएं देना जारी रखा, बल्कि उन लोगों को भी सेवाएं दीं, जो संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त थे। स्विट्जरलैंड की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी के पूर्व प्रमुख डैनियल थेल्सक्लाफ ने कहा कि स्विस बैंकों को आपराधिक गतिविधियों से जुड़े पैसे लेने पर कानूनी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है। लेकिन, उन्होंने कहा कि कानून आमतौर पर लागू नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि इस डेटा लीक में कुछ भारतीयों के खातों की जानकारी भी हो सकती है।

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