Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

भूखे पाकिस्तान को अब बूंद – बूंद पानी के लिए भी तरसना होगा, क्योंकि भारत ने ..

भूखे पाकिस्तान को अब बूंद – बूंद पानी के लिए भी तरसना होगा, क्योंकि भारत ने ..

Share this:

India – Pakistan Relation : एक और पाकिस्तान जहां दिवालिया होने के मुहाने पर खड़ा है। वहीं पानी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। भारत अब जल्द ही पाकिस्तान को बूंद- बूंद पानी के लिए तरसाएगा। भारत सरकार ने सितंबर 1960 में हुए सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। भारत ने स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान की गलत कार्रवाईयों ने इस संधि के प्रावधानों और उसके कार्यान्वयन पर विपरीत प्रभाव डाला है। भारत ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु जल संधि को हूबहू लागू करने का भारत समर्थक व जिम्मेदार साझेदार रहा है, लेकिन पाकिस्तान के स्तर से ऐसा नहीं हुआ। अंततः भारत को यह कदम उठाना पड़ा। कुल मिलाकर भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु जल समझौता अब टूटने वाला है। इसके बाद पाकिस्तान बूंद- बूंद पानी के लिए तरसेगा।

पाकिस्तान ने पिछले पांच वर्षों की पांच बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा तक से किया इन्कार

और तो और पाकिस्तान ने इस विवाद को सुलझाने के निमित्त पिछले पांच वर्षों यानी 2017 से 2022 के बीच स्थाई सिंधु आयोग की हुई पांच बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा तक करने से इनकार किया है। लिहाजा इस मसले पर मध्यस्थता की बात आई-गई हो गई। भारत की ओर से पाकिस्तान को जारी नोटिस की बात करें तो सिंधु जल संधि के उल्लंघन को सुधारने के लिए यह नोटिस पाकिस्तान को 90 दिनों के भीतर अंतर सरकारी वार्ता में जाने का अवसर प्रदान करता है। यह प्रक्रिया बीते 62 वर्षों पर स्थिति बदलने के साथ-साथ सिंधु जल संधि को अपडेट भी करेगी।

क्या है सिंधु जल समझौता

सिंधु जल संधि की बात करें तो इसके तहत सतलज, व्यास और रावी नदी का पानी भारत को तो सिंधु,झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया है। दोनों देशों ने लगभग 9 वर्षों की बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। विश्व बैंक भी इनमें से एक हस्ताक्षरकर्ता था। संधि के मुताबिक दोनों देशों के जल आयुक्तों को वर्ष में दो बार मुलाकात कर संधि के मुद्दों पर बातचीत करनी है। साथ ही परियोजना स्थलों एवं महत्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरों का प्रबंध करना होता है, लेकिन पाकिस्तान इसे दरकिनार करता आया है।

Share this: