रूस और यूक्रेन के बीच पिछले साढे 3 महीने से भीषण युद्ध चल रहा है। इस युद्ध में रूस का पलड़ा शुरू से ही भारी चल रहा है। लेकिन वह अभी तक इस युद्ध में कामयाबी हासिल नहीं कर सका है। यूक्रेन को तो इस युद्ध में भारी नुकसान उठाना ही पड़ रहा है। दूसरी ओर रूस को भी कम नुकसान नहीं उठाना पड़ रहा है। यूक्रेन पर रूस के हमले के साढ़े तीन महीने के बाद भी युद्ध हर दिन बढ़ता ही जा रहा है। ताजा कड़ी में रूसी सेना यूक्रेन के डोनबास में भीषण युद्ध कर रही है। रूसी सेना के साथ लड़ रहे डोनबास के विद्रोहियों ने दावा किया है कि सिवरस्की डोनेस्क नदी पर बना आखिरी पुल भी उड़ाने के बाद सीविरोडोनेस्क में मौजूद यूक्रेनी सैनिक फंस गए हैं। यूक्रेनी सैनिकों के सामने मृत्यु या समर्पण में से सिर्फ एक रास्ता बचा है।
मारियुपोल में भी रूसी सेना की ऐसी ही स्थिति
मारियुपोल में भी रूसी सेना ने कमोबेश यही स्थिति बना दी थी। वहां पर कई महीने लड़ने के बाद रूसी सेना ने मई में कब्जा किया था। मारियुपोल की अजोवस्टाल स्टील फैक्टरी में कई हफ्ते लड़ने के बाद यूक्रेनी सैनिकों को अंतत: आत्मसमर्पण करना पड़ा था।वहीं यूक्रेन ने रूस समर्थित विद्रोहियों के दावे को नकारते हुए कहा कि सीविरोडोनेस्क से जमीनी संपर्क टूटा नहीं है। एक रास्ता बचा हुआ है लेकिन वह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है।
सीविरोडोनेस्क और लिसिचांस्क में रूस का कब्जा
सीविरोडोनेस्क और उसके नजदीकी शहर लिसिचांस्क के रूसी कब्जे में जाने का मतलब होगा कि लुहांस्क प्रांत पर पूरी तरह से रूस का कब्जा हो गया। वैसे इस प्रांत के एक हिस्से पर रूस समर्थित विद्रोहियों का 2014 से ही कब्जा है। लुहांस्क के गवर्नर सेरही गैदाई ने कहा है कि सीविरोडोनेस्क के अधिकांश इलाके पर रूसी सेना का कब्जा हो गया है। लड़ाई अब सड़कों पर न होकर एक-एक इमारत पर कब्जे के लिए हो रही है। यह युद्ध खूनी लड़ाई में तब्दील हो गया है।
राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि हर मीटर जमीन के लिए लड़ाई हो रही है। एक बाजार में गिरे रूसी गोले की चपेट में आकर एक बच्चा समेत तीन लोगों की मृत्यु हो गई है।