रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा पूर्वी यूक्रेन के विद्रोही इलाकों डोनेत्सक और लुहांस्क को स्वतंत्र देश की मान्यता देने के कई देशों ने और उस पर प्रतिबंध लगाने की कार्यवाही शुरू कर दी है। न्यूज़ एजेंसी एन आई ने बताया है कि अमेरिका ने सबसे पहले रूस पर प्रतिबंध लगाया है। वहीं ब्रिटेन समेत कई देशों ने रूस के इस फैसले पर कड़ा एतराज जताया है। रूस के इस कदम के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस आदेश के अनुसार अमेरिकी व्यक्तियों का यूक्रेन के डीएनआर और एलएनआर क्षेत्रों में नए निवेश, व्यापार और वित्तपोषण पर प्रतिबंधित रहेगा। बाइडन की ओर से जिस आदेश पर हस्ताक्षर किए गए हैं, उसमें कहा गया है कि यूक्रेन की शांति, स्थिरता, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता खतरे में पड़ गई है। इससे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं विदेश नीति के सामने भी एक बड़ा एवं असामान्य खतरा पैदा हो गया है।
रूस ने कानून तोड़ा है : जो बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन किया है। इस उल्लंघन से हासिल किए जाने वाले लाभ से रूस को रोकने के लिए मैंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए, इस पर फैसला करने के लिए हम यूक्रेन सहित अपने सहयोगी और मित्र देशों के साथ सलाह-मशवरा कर रहे हैं।
रूस के फैसले पर क्या बोले यूक्रेन के राष्ट्रपति
रूसी राष्ट्रपति पुतिन की घोषणा के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की की प्रतिक्रिया आई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि विद्रोहियों को मान्यता देने के रूस के फैसले से उनको किसी बात का तनिक भी डर नहीं है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सरकार को पश्चिम देशों से पूरा समर्थन मिलेगा।
ब्रिटेन व एस्टोनिया भी लगाएंगे रूस पर प्रतिबंध
वहीं, ब्रिटेन व एस्टोनिया ने भी पुतिन के फैसले के बाद रूस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। ब्रिटेन ने कहा कि आज सरकार की तरफ से रूस पर कुछ नए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। रूस के फैसले को यूके ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन माना है। यूक्रेन की संप्रभुता वह क्षेत्रीय अखंडता पर हमला है। उधर, एस्टोनिया की पीएम काजा कल्लास ने कहा कि, हम रूस के कदम की निंदा करते हैं, और ये यूक्रेन की अखंडता का उल्लंघन है। रूस कूटनीतिक दरवाजे बंद कर युद्ध के लिए बहाने बना रहा है।
यूरोपीय संघ और यूरोपीय आयोग ने की निंदा
यूरोपीय संघ के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग के प्रेसिडेंट उर्सुला वान डर लेयेन ने संयुक्त बयान जारी कर रूस के फैसले की कड़ी आलोचना की है। संयुक्त बयान में कहा गया है कि रूस का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून के साथ ही मिन्स्क समझौते का भी उल्लंघन करता है। यूक्रेन की सीमा के भीतर उसकी स्वतंत्रता, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हम अपने अटूट समर्थन को दोहराते हैं।
रूस के फैसले से भड़का नाटो
यूक्रेन पर रूस के फैसले के बाद नाटो भी भड़क गया है। नाटो की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा गया है कि इससे यूक्रेन की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता कमजोर होगी। रूस के एकतरफा फैसले से समस्या समाधान की दिशा में चल रहे प्रयासों को बड़ा झटका लगेगा। 2015 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की पुष्टि की थी, जिसमें रूस भी शामिल था।