रूस के ताबड़तोड़ हमलों से यूक्रेन में कोहराम मचा हुआ है। चारों ओर अव्यवस्था का आलम है। वहां जैसे तैसे लोगों की जिंदगी गुजर रही है। इस बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा ने भारत, नाइजीरिया और चीन समेत तमाम यूरोपीय देशों से मदद की गुहार लगाई। विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैं नाइजीरिया, चीन और से आग्रह करता हूं कि रूस से हमलों को बंद करने और लोगों की सुरक्षित निकालने की अपील करें।’ उन्होंने कहा कि सभी यूरोपीय देश अपने बंदरगाहों पर आने वाले सभी रूसी जहाजों पर रोक लगा दें। ट्विटर के जरिए कुलेबा ने कहा, ‘पुतिन को रोकें और हमारी मदद करें। रूसी जहाजों के लिए सभी यूरोपीय बंदरगाहों को बंद कर दें। अब कार्रवाई का समय आ गया है।’
यूक्रेन सेना द्वारा मार गिराए गए रूसी एयरक्राफ्ट का वीडियो शेयर किया
अपने ट्वीट में विदेश मंत्री कुलेबा ने आसमान से गिराए गए रूसी एयरक्राफ्ट का वीडियो शेयर किया और कहा, ‘पुतिन यूक्रेन को अकेला छोड़ दें। आप यह युद्ध नहीं जीतेंगे। यह रूसियों के जीवन को बचाने और इस लड़ाई को खत्म करने का समय है। 113 कंपनियों ने रूस के साथ या रूस में काम करना बंद कर दिया है। मैं उन कंपनियों के फैसलों की सराहना करता हूं।’
रूसी सेना समझौते का उल्लंघन कर रही है
विदेश मंत्री ने कहा, ‘सुरक्षित कारिडोर व सीजफायर की कोई बात नहीं रह गई, क्योंकि रूसी सेना ने समझौते का उल्लंघन किया है। हम रूस से आग्रह करते हैं कि गोली बारी बंद कर दे, लोगों की सुरक्षित निकासी होने दें। मैं नाइजीरिया, चीन और भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि रूस से हमलों को बंद करने व लोगों की सुरक्षित निकासी के लिए अपील करें।’
भारत रूस पर दबाव बना सकता है
विदेश मंत्री कुलेबा ने कहा, भारत में रूसी दूतावास पर भारतीय लोग दबाव बनाकर रूस से युद्ध रोकने की मांग कर सकते हैं। यूक्रेन केवल इसलिए लड़ रहा है क्योंकि हम पर हमला किया गया था और हमें अपने देश की रक्षा करनी है। भारत यूक्रेन के कृषि उत्पादों के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है। अगर यह युद्ध जारी रहा तो हमारे लिए नई फसल की खेती में मुश्किल हो जाएगी। वैश्विक और भारतीय खाद्य सुरक्षा के मामले में भी इस युद्ध को रोकना सबके हित में है।’
विदेश मंत्री ने उन देशों से अपील की जो भारत के सहयोगी रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा, ‘भारत के साथ विशेष संबंधों को साझा करने वाले सभी देश प्रधानमंत्री मोदी से अपील कर सकते हैं कि वह राष्ट्रपति पुतिन को समझाएं कि यह युद्ध किसी के हित में नहीं है। रूस के लोगों को भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।’