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चाइना बॉर्डर की जगह तिब्बत बॉर्डर क्यों नहीं, संसद में सिक्किम के संसद ने

चाइना बॉर्डर की जगह तिब्बत बॉर्डर क्यों नहीं, संसद में सिक्किम के संसद ने

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New Delhi news : लेह, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश से सिक्किम तक 1,400 किलोमीटर की दूरी चीन के बजाय तिब्बत से लगती है। सिक्किम के सांसद दोरजी शेरिंग लेप्चा ने राज्यसभा में यह बात बताई। कहा कि केंद्र सरकार को ‘चाइना बॉर्डर‘ शब्द पर पुनर्विचार करने और इसके बजाय ‘तिब्बत सीमा‘ पर विचार करना चाहिए। तर्क दिया कि उन्होंने भारत सरकार और भारतीय सेना और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) सहित सैन्य एजेंसियों से इस अंतर को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने का आग्रह किया। यह चीन की सीमा नहीं है, ये तिब्बत बॉर्डर है। 

विकास में असमानता का दिया हवाला 

लेप्चा ने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास में असमानता है। बताया कि जहां चीन ने अपनी तरफ गांवों और बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है, वहीं भारतीय हिस्से में मुख्य रूप से प्रतिबंधित पहुंच वाले आरक्षित वन और वन्यजीव अभयारण्य हैं।  लेप्चा ने केंद्र से नाथुला के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग को फिर से खोलने पर विचार करने का आग्रह किया, जो कुछ समय से बंद है। उन्होंने केंद्र से अपनी एजेंसियों को आधिकारिक तौर पर सीमा का नाम बदलकर तिब्बत सीमा करने का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया।

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