New Delhi News: भारत और जापान की साझेदारी को नयी ऊंचाई पर ले जाने का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि दोनों देशों का सहयोग एशियाई सदी को आकार देगा। उन्होंने जापानी कम्पनियों से ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड‘ अभियान में शामिल होने का आग्रह किया और कहा कि जापान की तकनीक तथा भारत की प्रतिभा मिल कर वैश्विक परिवर्तन का नेतृत्व कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री ने आज टोक्यो में आयोजित ‘इंडिया-जापान आर्थिक मंच’ को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि जापान हमेशा भारत की विकास यात्रा का महत्त्वपूर्ण भागीदार रहा है। मेट्रो, विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और स्टार्ट-अप जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों की साझेदारी आपसी विश्वास का प्रतीक है। अब तक जापानी कंपनियों ने भारत में 40 अरब डॉलर से अधिक निवेश किया है। केवल पिछले दो वर्षों में ही 13 अरब डॉलर का निजी निवेश हुआ है।
भविष्य की दिशा बताते हुए प्रधानमंत्री ने पांच क्षेत्रों पर बल दिया- विनिर्माण, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, हरित ऊर्जा परिवर्तन, अगली पीढ़ी का बुनियादी ढांचा और कौशल विकास। उन्होंने कहा कि जापान की उत्कृष्टता और भारत का व्यापक पैमाना मिल कर साझा समृद्धि सुनिश्चित करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत ने असाधारण परिवर्तन अनुभव किये हैं। आज भारत राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता वाला देश है, जिसकी नीतियां स्पष्ट हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत वैश्विक विकास में 18 प्रतिशत योगदान कर रहा है और उसके विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 700 अरब डॉलर तक पहुंच चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने सुधारों का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ की नीति से देश में बड़ा बदलाव आया है। ‘वन नेशन-वन टैक्स’ व्यवस्था लागू होने के बाद अब नया आयकर संहिता भी संसद से पारित हो चुकी है। व्यवसायों के लिए डिजिटल सिंगल विंडो की सुविधा, 45 हजार अनुपालनों को युक्तिसंगत और निजी क्षेत्र के लिए रक्षा व अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों को खोलने की पहल की गयी है। उन्होंने घोषणा की, कि अब परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र के लिए खोला जायेगा।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के आमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी जापान की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। वे दोनों देशों के 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जपान पहुंचे हैं।
जापानी प्रौद्योगिकी और भारतीय प्रतिभा एक विजयी संयोजन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ शिखरवार्ता के बाद संयुक्त वक्तव्य में कहा कि जापानी प्रौद्योगिकी और भारतीय प्रतिभा एक विजयी संयोजन है। दोनों देशों ने आज अगले दशक के लिए एक कार्ययोजना बनायी है। साथ ही अपनी विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी में एक नए और सुनहरे अध्याय की मजबूत नींव रखी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उनकी प्रधानमंत्री इशिबा के साथ चर्चा उत्पादक और उद्देश्यपूर्ण रही। हमने अपनी विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी में एक नए और सुनहरे अध्याय की मजबूत नींव रखी है। हमने अगले दशक के लिए एक कार्ययोजना बनायी है। उन्होंने कहा कि हमारे दृष्टिकोण के केंद्र में निवेश, नवोन्मेष, आर्थिक सुरक्षा, पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, आवागमन, जन-से-जन संवाद और राज्य-प्रान्त साझेदारी है। हम टिकाऊ ईंधन पहल और बैटरी आपूर्ति शृंखला साझेदारी भी शुरू कर रहे हैं। हम आर्थिक सुरक्षा सहयोग पहल आरम्भ कर रहे हैं। इसके तहत, महत्त्वपूर्ण और सामरिक क्षेत्रों में एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ा जायेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग हम दोनों की प्राथमिकता है। इस संदर्भ में डिजिटल साझेदारी 2.0 और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहयोग पहल ली जा रही है। सेमीकंडक्टर और दुर्लभ खनिज हमारे कार्यसूची में सबसे ऊपर रहेंगे। उन्होंने कहा कि जहां हम उच्च गति रेल पर काम कर रहे हैं, वहीं अगली पीढ़ी आवागमन साझेदारी के अंतर्गत बंदरगाह, विमानन और जहाज निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी तेजी से प्रगति करेंगे। हमने निर्णय किया है कि रक्षा उद्योग और नवोन्मेष के क्षेत्र में आपसी सहयोग को और सशक्त किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि भारत और जापान एक स्वतंत्र, खुले, शांतिपूर्ण, समृद्ध और नियम-आधारित हिन्द-प्रशांत के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। आतंकवाद और साइबर सुरक्षा को लेकर हमारी चिन्ताएं समान हैं। रक्षा और समुद्री सुरक्षा से हमारे साझे हित जुड़े हुए हैं। मोदी ने कहा कि भारत और जापान की साझेदारी आपसी विश्वास पर आधारित है। हम सब मिलकर अपने लोगों और विश्व के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि का साझा सपना लेकर चलते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी को जापान के शोरिंज मंदिर से मिला दरुमा डॉल का विशेष उपहार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शुक्रवार को जापान के ताकासाकी-गुन्मा स्थित शोरिंज दरुमा-जी मंदिर के मुख्य पुजारी रेवरेंड सेइशी हीरोसे ने एक विशेष दरुमा डॉल (दरुमा गुड़िया) भेंट की। इस उपहार को भारत और जापान के बीच गहरे सभ्यतागत और आध्यात्मिक सम्बन्धों का प्रतीक बताया गया है।
दरुमा डॉल जापानी संस्कृति में शुभता और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है। यह परम्परा जापान के गुन्मा प्रांत के ताकासाकी शहर से जुड़ी है, जो दरुमा डॉल का जन्मस्थान माना जाता है।
दरुमा परम्परा की जड़ें भारत से जुड़ी हैं। इसका सम्बन्ध कांचीपुरम के महान भारतीय भिक्षु बोधिधर्म से है, जिन्हें जापान में दरुमा देशी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने एक हजार वर्ष से भी पहले जापान की यात्रा की थी और वही परम्परा आगे चलकर दरुमा संस्कृति में परिवर्तित हुई।
प्रधानमंत्री को दरुमा डॉल की भेंट भारत और जापान की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक निकटता को और मजबूत करने का प्रतीक मानी जा रही है।



