JHARKHAND POLITICAL CRISIS : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर चल रहे संशय के बीच शुक्रवार को चुनाव आयोग ने उनके विधायक भाई बसंत सोरेन पर चल रहे मामले में भी राज्यपाल को अपना मंतव्य भेज दिया है। वैसे राजभवन ने इस आशय कि पुष्टि नहीं की है। आयोग के सूत्रों के अनुसार दुमका विधायक बसंत सोरेन पर लगे आरोपों को लेकर मंतव्य भेजते हुए निर्णय राज्यपाल पर छोड़ा गया है। बताया जा रहा है कि विधि विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद राज्यपाल इस बाबत निर्णय लेंगे। बता दें कि इससे पहले निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को हेमंत सोरेन के पत्थर खनन लीज मामले में भाजपा की शिकायतों पर सुनवाई के बाद अपने मंतव्य से राजभवन को अवगत कराया था। इस मामले में अभी तक हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता को लेकर भी राजभवन ने निर्णय नहीं लिया है।
बसंत सोरेन के अधिवक्ता ने दी थी दलील, यह मामला राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र का नहीं
पिछले दिनों चुनाव आयोग में सुनवाई के दौरान दुमका के विधायक बसंत सोरेन की तरफ से उनके अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि यह मामला राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र का नहीं है। इसकी अनदेखी करते हुए राजभवन ने संविधान के अनुच्छेद 191 (1) के तहत चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा। भाजपा के अधिवक्ता ने दलील दी कि बसंत सोरेन जिस माइनिंग कंपनी से जुड़े हैं, वह राज्य में खनन करती है। बसंत सोरेन का इससे जुड़ाव अधिकारियों को प्रभावित करता है। यह कंफ्लिक्ट आफ इंट्रेस्ट का मामला है। ऐसे में उनकी विधानसभा की सदस्यता रद की जाए।