झामुमो तोड़ कोल्हान फतह की भाजपा की मुहिम को लगा झटका
चंपई खेमे के विधायक पहुचें सीएम आवास कहा, कहीं नहीं जा रहे
Ranchi News: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के आज के बयान से झारखंड की राजनीति की नई पहेली और भी उलझ गई है। पूर्व सीएम का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तय नहीं हो पा रहा है। परंतु उनके स्टेटमेंट से इतना तो तय है कि वह अभी भाजपा में नहीं जा रहे हैं। चम्पई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर कहा कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि यह सब कौन कह रहा है?
चम्पई सोरेन ने दिल्ली आना बताया निजी यात्रा
चम्पई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की चर्चा बीते कई दिनों से मीडिया में सुर्खियों में रही है। ऐसा कहा जा रहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चंपई सोरेन अपने समर्थक कुछ विधायकों के साथ भाजपा का झंडा थाम सकते हैं। वैसे सीधे तौर पर चम्पई ने इस बात का जवाब नहीं दिया परंतु उन्होंने झामुमो में अपमानित होने की बात कही। कहा कि बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने अत्यधिक अपमान’झेला जिसके बाद वह वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गए। लेकिन अब झामुमो नेता की तरफ से एक नया बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने भाजपा में जाने की अटकलों पर विराम लगाया है। उन्होने कहा कि मेरी किसी से मुलाकात नहीं हुई। मैं यहां (दिल्ली) किसी निजी काम से आया था। मैं उनसे (भाजपा नेता से) मिलना नहीं चाहता था। भाजपा में शामिल होने के पूछे गए सवालों पर उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि यह सब कौन कह रहा है? फिर भी उनके भाजपा में जाने की अटकलों पर यह अर्ध विराम सा दिख रहा है।
विक्षुब्ध विधायकों के भाजपा में जाने की थी अटकलें
य़ह प्रकरण उस समय से शुरू हुआ, जब चंपई सोरेन झारखंड से निकलकर पहले कोलकाता पहुचें, उनके साथ पांच और विधायक जिनमें कोल्हान से रामदास सोरेन, दशरथ गगराई ,लोहरदगा विधायक चमरा लिंडा, झामुमो से निलंबित लोबिन हेम्ब्रम के दिल्ली में शिवराज सिंह चौहान से मिलकर भाजपा मे शामिल होने की खबर आने लगी। इन अटकलों पर सीधे तौर पर किसी पक्ष के द्वारा कुछ भी नहीं कहा गया। परंतु इसी बीच चम्पई ने एक्स पर लिखा कि इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में उन्हें बताए बगैर पार्टी नेतृत्व ने अचानक उनके सारी सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। चंपई सोरेन ने कहा, “पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा तीन जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है और मुझसे कहा गया कि तब तक आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते। क्या लोकतंत्र में इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? इसके बाद इन चर्चाओं को और भी बल मिला।
दो विधायक लौटे हेमंत के पास,झामुमो में टूट को लगा झटका
झामुमो में टूट की मुहिम को उस वक़्त झटका लगा जब मंगलवार को दोपहर बाद झामुमो के दो विधायक समीर मोहंती और रामदास सोरेन सीएम हेमंत से मिलकर पार्टी में बने रहने की बात दुहराई। जबकि दो दिन पहले ही दशरथ गगराई ने पत्र लिखकर झामुमो में बने रहने की बात कही थी। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करे तो कोल्हान से भाजपा का सफाया हो गया था। लोकसभा चुनाव में भी गीता कोड़ा को पार्टी में जोड़ने का प्रयास भी काम नहीं आया। मधु कोड़ा का जलवा नहीं चल पाया और पार्टी गीता के सहारे भी चाईबासा सीट नहीं जीत पाई। कोल्हान के दिग्गजों में पूर्व सीएम रघुवर दास अपनी सीट भी हार गए जबकि 2019 में खूँटी लोकसभा के रास्ते दिल्ली पहुचने वाले पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा भी 2024 लोकसभा का चुनाव हार कर अपने क्षेत्र मे कमजोर हो गए है। इस स्थिति मे भाजपा कोल्हान का टाइगर माने जाने champi को अपने पाले में लाकर विधानसभा मे खुद की वापसी का प्लान बना रही थी। पर चंपई सोरेन के स्टेटमेंट और झामुमो की मजबूत किलेबन्दी से भाजपा की मुहिम को अंदर ही अंदर झटका लगता दिख रहा है। इस लिहाज से भाजपा नेतृत्व बहुत सम्भल कर आगे बढ़ रही है।
‘चंपई मंझे हुए नेता हैं वह अपनी आगे की राह के बारे में निर्णय खुद लेंगे’
इस बीच प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से जब चंपई सोरेन से भाजपा में शामिल होने को लेकर पूछी गई, तब मरांडी ने कहा कि चंपई सोरेन से अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है। वह एक मंझे हुए नेता हैं और झारखंड राज्य के गठन के लिए चलाये गए आंदोलन का हिस्सा रह चुके हैं। वह अपनी आगे की राह के बारे में निर्णय खुद लेंगे।