सरयू रॉय ने कहाः हमें कैपिटल को इनकम समझने की भूल नहीं करनी होगी
Damodar mahotsav : विगत 30 मई को दामोदर बचाओ आंदोलन, नेचर फाउंडेशन और युगांतर भारती के संयुक्त तत्वावधान में यहां के छिन्नमस्तिका मंदिर परिसर में गंगा दशहरा के उपलक्ष्य में दामोदर उत्सव मनाया गया। इस उत्सव के मुख्य अतिथि झारखंड के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष सरयू रॉय ने की। कार्यक्रम की शुरुआत में राज्यपाल का स्वागत किया गया। युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष अंशुल शरण ने उन्हें शॉल, पौधा और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने इस मौके पर एक स्मारिका का भी विमोचन किया।
नदियों के प्रदूषण की कीमत पर विकास ठीक नहीं
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि औद्योगिक विकास तो जरूरी है पर नदियों के प्रदूषण की कीमत पर नहीं। झारखंड में दामोदर सिर्फ नद नहीं बल्कि यहां के लोगों के लिए लाइफलाइन है। इसे किसी भी कीमत पर प्रदूषित नहीं करना है।
साबरमती और दामोदर की सफाई का अर्थ
राज्यपाल ने कहा कि बहुत पहले वह जर्मनी गए थे। वहां उन्होंने एक बोर्ड लगा देखा जिसमें लिखा था कि इस नदी का पानी प्रदूषण मुक्त है। आप इसे सीधे पी सकते हैं। मैं सोच रहा था कि ऐसा भारत में कब होगा? कुछ साल पहले मैं गुजरात गया था। वहां मैंने साबरमती नदी की खस्ताहाल हालत देखी। मैं दुखी था। फिर कुछ वक्त के बाद मैंने साबरमती नदी को देखा तो वह साफ हो चुकी थी। ऐसे ही, मैं दस साल पहले बनारस गया था। 10 साल पहले बनारस शहर और गंगा नदी की हालत बेहद खराब थी। मैं आपको बताना चाहता हूं कि अभी दस दिन पहले ही मैं बनारस से लौटा हूं। गंगा जी चमक उठी हैं और पूरा शहर साफ हो गया है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा कैसे हुआ। ऐसा सिर्फ एक आदमी की सोच और दूरदर्शिता के कारण हुआ। वह हैं उस वक्त के गुजरात के मुख्यमंत्री और अभी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। ये सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री की सोच और एक्शन से ही संभव हुआ। मुझे ये देख कर अच्छा लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हमारे सरयू रॉय जी की सोच एक जैसी ही है। दोनों कमोबेश इस बात को मानते हैं कि नदियों को गंदा नहीं करना चाहिए। दामोदर नद के 99 प्रतिशत औद्योगिक प्रदूषण से मुक्ति पर मैं सरयू रॉय जी को बधाई देता हूं।
रजरप्पा आकर खुश हुआ मन
राज्यपाल ने कहा कि मुझे रजरप्पा के इस पावन स्थल पर आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। रजरप्पा एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और देश भर से श्रद्धालु यहां ‘मां छिन्नमस्तिका मंदिर’ में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। आज मुझे भी मंदिर में पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ‘माँ छिन्नमस्तिका’ से मैं प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना करता हूँ। माँ की कृपा सभी पर बनी रहे। रजरप्पा दामोदर और भैरवी नदियों के संगम पर स्थित है, जो पहाड़ियों, झरनों और घने जंगलों से घिरा है। मंदिर परिसर का निर्माण नक्काशी और वास्तुकला के साथ अत्यंत खूबसूरती से किया गया है, जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। यह धार्मिक स्थल सांस्कृतिक और प्राकृतिक केंद्र भी है। आध्यात्मिकता, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा मिश्रण भक्तों को आकर्षित करता है। पर्यावरण के क्षेत्र में हमेशा सतर्क रहने वाली संस्था युगांतर भारती द्वारा आयोजित “देवनाद दामोदर महोत्सव” में आप सभी के बीच सम्मिलित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय पहल करने के लिए मैं झारखंड विधान सभा सदस्य सरयू रॉय जी को बधाई देता हूँ।
चूल्हापानी देवताओं का निवास स्थान
दामोदर नदी का उद्गम स्थल चूल्हापानी गांव है। स्थानीय लोगों का मानना है कि चूल्हापानी देवताओं का निवास स्थान है। कई बिजली संयंत्र इसके ‘तेजी से बहने वाले पानी का उपयोग करते हैं और यह नदी आर्थिक विकास को गति देते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाद में यह देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक बन गई है।
दामोदर भगवान विष्णु के सहस्रनाम में से एक
राज्यपाल ने कहा कि दामोदर भगवान विष्णु के सहस्रनाम में से एक है। यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि दामोदर महोत्सव के माध्यम से भगवान विष्णु स्वरुप इस पवित्र नदी की स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। दामोदर महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर है। यह हमें दामोदर नदी और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने, उसकी स्वच्छता सुनिश्चित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सौंदर्य को संरक्षित करने की जिम्मेदारी का एहसास कराता है। प्रधानमंत्री ने नदी संरक्षण के लिए कई उल्लेखनीय पहल किए हैं। उनमें में से एक नमामि गंगे परियोजना है, जिसका उद्देश्य पवित्र गंगा नदी को फिर से जीवंत करना है। एक अन्य महत्वपूर्ण पहल राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में प्रमुख नदियों को साफ और संरक्षित करना है। यह नदी संरक्षण में सार्वजनिक भागीदारी और जागरूकता के महत्व पर भी बल देता है। इस नदी के स्वच्छता पर ध्यान देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। एक जिम्मेदार नागरिकों के रूप में सबको दामोदर नदी का संरक्षक बनना चाहिए। हमें इसके जल के संरक्षण, इसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने और अपने दैनिक जीवन में बेहतर प्रथाओं को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।
अगले साल सभी का आभार जताएंगेः सरयू
इसके पूर्व दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू रॉय ने कहा कि अगला साल उनकी संस्था देश भर के उन तमाम लोगों का धन्यवाद करेगी, आभार जताएगी, जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दामोदर आंदोलन में सहायता की। सरयू रॉय ने कहा कि ये 19 साल बेहद संघर्ष के रहे पर ये खुशी की बात है कि दामोदर 95 प्रतिशत साफ हो गया। बेरमो, फुसरो और धनबाद में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम चालू हो रहा है।
दामोदर, ब्रह्मपुत्र और सोन ही पुरुषवाचक
उन्होंने कहा कि पिछले 21 मई को जब मैं देवनद-दामोदर महोत्सव-2023 में राज्यपाल महोदय को आमंत्रित करने के लिए राजभवन गया था, तो मैंने इस क्रम में उन्हें बताया कि झारखण्ड में जितने भी जलस्रोत है, वे स्त्रीलिंग हैं। नदियों में दामोदर, ब्रह्मपुत्र और सोन ही पुरुषवाचक हैं। अर्थात ये नदी नहीं, नद है। दामोदर भगवान विष्णु का ही एक रूप है। दामोदर नद लोहरदगा जिला के कुड़ू प्रखण्ड अवस्थित दुर्गम बोदा पहाड़ पर चूल्हापानी एक विशाल वृक्ष के जड़ के पास से चूल्हानुमा आकृति से बाहर निकलता है, जो आगे चलकर विशाल रूप धारण कर लेता है।
तब मन बेहद दुखी हुआ था
वर्ष 2004 में चुनाव के दौरान जब मैं प्रचार में लगा हुआ था और पूरे राज्य का भ्रमण कर रहा था, तब मैंने बोकारो, रामगढ़ और धनबाद में देखा कि दामोदर के इर्द-गिर्द बसे सैकड़ों निजी और सार्वजनिक कारखानों का अपशिष्ट बिना परिष्कृत हुए सीधे नद में गिराया जा रहा है। इससे पानी विषाक्त और काली हो गई थी। कहीं-कहीं छाई के कारण यह दूधिया दिखाई पड़ती थी। जलीय-जीव मर रहे थे। जानवर भी उस पानी को पीने से कतरा रहे थे। नदी किनारे रहने वाले लोग अब उस पानी का इस्तेमाल अपने दैनिक कार्यों में करना बंद कर चुके थे। यहाँ तक कि वे दामोदर में उतरते तक नहीं थे क्योंकि दामोदर का पानी शरीर में खुजली पैदा कर रहा था। नद की यह दुर्दशा देखकर मुझे बहुत दुख पहुंचा और मेरा मन कचोट गया। मुझे लगा कि इसके लिए कुछ करना चाहिए। तब मैंने दामोदर बचाओ आंदोलन के बैनर तले स्थानीय लोगों से दामोदर के उसके पुराने स्वरूप में लाने का संकल्प लेकर उनसे मदद मांगी तो लोगों ने पूरे तन-मन से मेरा सहयोग किया। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, बिहार क्षेत्र के डॉ. आर.के. सिन्हा और उनके सहयोगी डॉ. गोपाल शर्मा युगांतर भारती के नेतृत्व में अनेक स्वयंसेवी संस्था ने इस नेक कार्य में हमारा साथ दिया। हमने जनसहयोग से संसद भवन से लेकर दामोदर नद के किनारे स्थापित सार्वजनिक एवं निजी प्रतिष्ठानों के मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन किया, ज्ञापन सौंपे। संबंधित केन्द्रीय मंत्रियों, केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के सचिवों, विभिन्न सार्वजनिक कंपनियों के एमडी, सीएमडी को वस्तुस्थिति से अवगत कराया और उन्हें कहा कि यदि समय रहते दामोदर पर कारखानों का प्रदूषित अपशिष्ट गिरना बंद नहीं हुआ तो दामोदर के आसपास के क्षेत्र में पारिस्थितकीय बदलाव होगा और नदी किनारे रहनेवालों के अस्तित्व पर भी खतरा हो जायेगा। बाद में संबंधित सभी निकायों ने हमारे सुझावों पर अमल किया, जिसके कारण आज दामोदर औद्योगिक प्रदूषण से 95 प्रतिशत मुक्त हो चुका है।
नगरीय प्रदूषण एक नई चुनौती
सरयू रॉय ने कहा कि अब दामोदर के सामने नगरीय प्रदूषण एक नई चुनौती के रूप में उभरा है। पिछले वर्ष दामोदर समीक्षा यात्रा के क्रम में हमने इसी स्थान से घोषणा की थी कि दामोदर यात्रा के दूसरे चरण की शुरूआत नगरीय प्रदूषण से रोकथाम ही हमारा लक्ष्य होगा। इस क्रम में मैंने राज्य शहरी विकास अभिकरण (सूडा) के निदेशक अमित कुमार से कई बार मिला। उन्होंने बातचीत के क्रम में बताया कि बेरमो, फुसरो और धनबाद में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को निधि का आवंटन कर दिया है और चास में डीएमएफटी मद से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की दिशा में काम चल रहा है। उन्होंने दामोदर नद को नगरीय एवं औद्योगिक प्रदूषण मुक्त कराने की दिशा में हरसंभव सहायता करने का आश्वासन मुझे दिया।
बैठक जरूरी, लोग जिम्मेदार बनें
श्री रॉय ने कहा कि जब मैं 2006 में झारखण्ड विधानसभा की ‘पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण समिति’ का सभापति था, तब मैंने सभी जिलों में उपायुक्त की अध्यक्षता में ‘जिला पर्यावरण समिति’ का गठन कराया था। यदि उक्त समिति की माह-दो माह में एक बार बैठक हो, जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारी को समझे तो इस नदी को साफ होने से कोई नहीं रोक सकता। पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण रोकने के कार्य में हर शख्स को अपना योगदान देना होगा। हमें पर्यावरण प्रहरी बनकर, सजग रहकर अपना दायित्व निभाना होगा।
दो संकल्पों पर चर्चा
श्री रॉय ने कहा कि आज हम फिर इस जगह पर दो संकल्प लेते हैं। पहला कि अगले साल हम देश भर के उन तमाम लोगों का धन्यवाद करेंगे, आभार जतायेंगे, जिन्होंने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दामोदर बचाओ आंदोलन में सहायता की। दूसरा, पर्यावरण संरक्षण एवं दामोदर सहित अन्य जलस्रोतों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए पर्यावरण प्रहरी बनकर अपना दायित्व निभायेंगे।
पानी, हवा, जंगल, मिट्टी का निर्माण नहीं कर सकते
उन्होंने कहा कि हमारी सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि हम कैपिटल को ही इनकम मान लेते हैं। हम कभी पानी, हवा, जंगल, मिट्टी का निर्माण नहीं कर सकते। ये सारी चीजें प्रकृति प्रदत्त हैं। हम इनके संरक्षण पर ध्यान न देकर उनके संरक्षण पर हमारा ध्यान केंद्रित कर देते हैं। जिन वस्तुओं का हम कई गुणा तक निर्माण कर सकते है, जिसके कारण पर्यावरण सरंक्षण के प्रति हम उदासीन रहते है। हमें इस सोच को बदलने की आवश्यकता है। क्योंकि साईकिल, मोबाईल, गाड़ी इत्यदि के खराब होने पर हम उसकी मरम्मति करवा सकते हैं अथवा उसे बदल कर नई खरीद सकते है, पर यदि हमारा पर्यावरण, जलस्रोत आदि खराब हो जाए तो न तो हम उसे अपने दम पर ठीक कर सकते है और न ही हम उसे बदलने की कल्पना कर सकते है। इसलिए हमें प्रकृति, जलस्रोत और पर्यावरण को अपने परिवार के सदस्य की तरह देखभाल करने, उनकी संरक्षण करने का संकल्प लेना चाहिए।
सरयू रॉय जी ने शानदार काम कियाः पटेल
मांडू के विधायक जय प्रकाश पटेल ने कहा कि हमारा राज्य तो धनी है पर राज्यवासी बेहद गरीब हैं। हमारा राज्य मिनरल्स से तो भरा-पूरा है पर राज्य की जनता उसे सिर्फ देख सकती है। और कुछ नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि दामोदर का प्रदूषण अगर 95 प्रतिशत तक कम हो सका है तो इसके पीछे सरयू रॉय जी और उनकी टीम की मेहनत है। अब तो गांव वाले दामोदर का इस्तेमाल पेयजल के रूप में भी करने लगे हैं। यह बड़ी जीत है। इसके लिए सरयू रॉय जी को बधाई देता हूं। स्वागत भाषण गोविंद मेवाड़ एवं धन्यवाद ज्ञापन आशीष शीतल ने किया। मंच संचालन पंचम चौधरी ने किया।