Dhanbad news: बहाली की मांग को लेकर तीन दर्जन से अधिक आश्रित पिछले साल 22 फरवरी से झमाडा कार्यालय के मुख्य द्वार पर तंबू लगा कर लागातार धरना दे रहे हैं. बीते दो साल में तंबू में बैठे आश्रितों को कई कष्टों का सामना करना पड़ रहा है. आश्रित मेहर बुल अंसारी ने बताया कि गुरुवार को धरना का दो वर्ष पूरा हो गया लेकिन प्रबंधन को उनपर तनिक भी दया नहीं आई. अनुकंपा पर बहाली की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई. यह चिंता का विषय है. उलटे प्रबंधन ने हम पर संविधान की 353 लगवा कर अंग्रेजी हुकूमत की याद ताजा कर दी है. प्रबंधन आंदोलन समाप्त कराने के लिए यह कुचक्र किया गया है. प्रबंधन चाहे कितना भी तानाशाही रवैया क्यों न अपना ले, हम अपनी जायज मांगों को लेकर अड़े रहेंगे.
आंदोलन के दो वर्ष हुए पूरे पर नहीं हुई पहल
बता दें की अनुकंपा पर बहाली की मांग को लेकर झमाडा कर्मियों के आश्रितों के बेमियादी धरना के 22 फरवरी को 730 दिन यानी दो वर्ष पूरा हो गया. इसके बावजूद अब तक इनकी बहाली नहीं हुई है. 730 दिनों के धरने के बदले में झमाडा प्रबंधन से इन्हें संविधान की धारा 353 मिली है.