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किसानों की आय बढ़ाने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार संकल्पित, हर खेत को मिलेगा पानी : हेमन्त

किसानों की आय बढ़ाने व आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार संकल्पित, हर खेत को मिलेगा पानी : हेमन्त

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मुख्यमंत्री ने सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का किया शिलान्यास

Ranchi news, Jharkhand news, Ranchi update, Jharkhand update  : हर खेत को मिले पानी, इसी प्रतिबद्धता के साथ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इसी कड़ी का एक हिस्सा बनने जा रहा है- सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना। इस सिंचाई योजना में भूमिगत पाइपलाइन के जरिये खेतों में पटवन का पानी पहुंचेगा और फसलें लहलहायेंगी।  मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सोमवार को देवघर जिले के सारठ प्रखंड में सिकटिया मेगालिफ्ट सिंचाई योजना के शिलान्यास समारोह को सम्बोधित करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आनेवाले दिनों में किसान टांड़ में भी सालों भर खेती कर सकेंगे, क्योंकि सरकार यहां भी सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने की दिशा में काम कर रही है।

गंगा का पानी भी पाइपलाइन से खेतों में पहुंचायेंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमेशा यह बात सुनने को मिलती थी कि झारखंड के डैम, बराज और वॉटर रिजर्वायर के पानी का इस्तेमाल झारखंड के किसान नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में यहां के पानी का इस्तेमाल यहां के लोग करें। इस दिशा में कार्य योजना बना कर उसके क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आनेवाले दिनों में गंगा नदी का पानी भी पाइपलाइन के जरिये खेतों में पहुंचेगा। इस दिशा में भी सरकार कार्य योजना बनाने की तैयारी में लग गयी है।  

पानी का समुचित इस्तेमाल हो सकेगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सिंचाई परियोजनाओं के लिए नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल करने पर विशेष जोर दे रही है। ताकि, पानी का बेहतर और समुचित इस्तेमाल होने के साथ खेत-खलिहान डूब क्षेत्र में ना आयें, इसलिए मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना के  तहत भूमिगत पाइपलाइन के जरिये नदी, डैम और बराज का पानी खेतों में पहुंचाया जा रहा है। इस कड़ी में राज्य के पहले मेगालिफ्ट सिंचाई परियोजना की आधारशिला दुमका के मसलिया में रखी गयी थी और आज देवघर के सारठ में सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना का शिलान्यास करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। मुझे इस बात की खुशी है कि इसी स्थान पर वर्ष 2013-14 में मैने अजय बराज का उद्घाटन किया था। 

पहले योजनाएं बनती थीं, लेकिन पूरा होने में कई वर्ष लग जाते थे 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भी सिंचाई के लिए कई योजनाएं बनीं। उनका क्रियान्वयन भी हुआ। लेकिन, उसके पूर्ण होने में 30 से 40 साल लग गये। कई योजनाएं तो आज भी अधूरी हैं। योजनाओं के पूरा होने में ज्यादा समय लगने से उसकी लागत बढ़ जाती थी। सबसे बड़ी बात है कि जिन लोगों की जमीन, खेत-खलिहान इन परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित किये गये थे, उनका लाभ लेने के लिए वे लम्बे समय तक इंतजार करते रहे। लेकिन, उन्हें निराशा हाथ लगी। आज हमारी सरकार सिंचाई समेत तमाम परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, ताकि लोगों को उसका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। 

सरकार बनाते ही चुनौतियों से सामना

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों के भावनाओं को समझते हैं। उनकी जरूरत को जानते हैं और उनकी समस्याओं से भी वाकिफ हैं।  ऐसे में हमारी सरकार लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य योजना बना कर काम कर रही है।  मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में जैसे ही हमारी सरकार बनी, तो चुनौतियों से सामना शुरू हो गया । सबसे पहले वैश्विक महामारी कोरोना ने हमें अपनी गिरफ्त में ले लिया।  कोरोना से निकले, तो सुखाड़ का सामना करना पड़ा।  लेकिन, इन तमाम चुनौतियों के बीच हमारी सरकार विकास की गति को रफ्तार देने का काम कर रही है। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री बादल, पर्यटन, कला-संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य मंत्री  हफीजुल हसन, विधायक इरफान अंसारी, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, जल संसाधन सचिव प्रशांत कुमार और देवघर तथा जामताड़ा जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक समेत कई अधिकारी मौजूद थे।

जानिए, सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना को

✓ सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना के तहत अजय नदी बराज से भूमिगत पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई की सुविधा होगी उपलब्ध  

✓इस योजना पर 484 करोड़ 35 लाख रुपये खर्च होंगे, निर्माण कार्य तीन वर्ष में होगा पूरा 

✓ देवघर जिले के सारठ और करों तथा जामताड़ा जिला के विद्यासागर और जामताड़ा प्रखंड की 27 पंचायतों के 01 लाख 11 हजार 174  किसान इस योजना से होंगे लाभान्वित 

✓13 हजार 164 हेक्टेयर कृषि भूमि में पटवन की सुविधा होगी उपलब्ध    

✓धान के अतिरिक्त  दलहन और तिलहन के साथ रागी, ज्वार-मक्का जैसी फसलों की खेती के लिए सिंचाई सुविधा होगी उपलब्ध 

✓अगर कभी भारी वर्षा हो और खेतों को पानी की उतनी जरूरत नहीं है, तो उस पानी को अगल-बगल के जलाशयों में डाइवर्ट कर भरा जायेगा, ताकि उसका अन्य कार्यों में हो सके इस्तेमाल।

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