Jharkhand के राज्यपाल रमेश बैस ने ट्राइबल यूनिवर्सिटी बिल को सरकार को लौटा दिया है। राज्यपाल ने 10 बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए बिल को वापस किया है। अब सरकार की ओर से इसे लेकर जवाब देने के बाद ही इस मामले में कोई फैसला होने की उम्मीद है। इस प्रकार सरकार की ओर से ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनाने के लिए किए जा रहे प्रयास को एक झटका माना जा रहा है।
23 दिसंबर 2021 को विधानसभा में संबंधित विधेयक को दी मंजूरी
गौरतलब है कि गत वर्ष विधानसभा ने 23 दिसंबर को इस विधेयक को मंजूरी दी थी। सरकार ने करीब डेढ़ महीने के बाद फरवरी में इस विधेयक को मंजूरी के लिए राजभवन भेजा था। राजभवन की ओर से इस बिल पर कई प्रकार की विसंगतियों की ओर ध्यान दिलाया गया है। कहा गया है कि विधेयक की जो हिंदी प्रति भेजी गई है, उसमें कुछ और प्रावधान हैं, जबकि अंग्रेजी की प्रति में कुछ अलग है। जो हिंदी में है, वह अंग्रेजी में क्यों नहीं। राजभवन ने इसी प्रकार के 10 बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए सही तथ्यों के साथ फाइल भेजने को कहा है।
सीएम हेमंत सोरेन का बड़ा विजन
याद कीजिए, विधानसभा में इस विधेयक पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि विभिन्न राज्यों ने अपनी भाषा और संस्कृति को संरक्षण दिया है। इसलिए यहां भी एक ट्राइबल यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला किया गया है। स्पष्ट है कि इस यूनिवर्सिटी को खोलने के पीछे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बड़ा विजन है।
देश की दूसरी और पूर्वी भारत की पहली यूनिवर्सिटी होगी
झारखंड में बनने वाली यह यूनिवर्सिटी पूर्वी भारत की पहली और देश की दूसरी ट्राइबल यूनिवर्सिटी होगी। मध्य प्रदेश के अमरकंटक में देश की पहली ट्राइबल यूनिवर्सिटी चल रही है। झारखंड में ट्राइबल यूनिवर्सिटी के लिए जमशेदपुर के गालूडीह के पास सरकार ने 20 एकड़ जमीन चिन्हित की है। राज्य में जनजातीय समुदाय की आबादी 26% से अधिक है। इस यूनिवर्सिटी के बनने से झारखंड समेत बंगाल,ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बिहार के जनजातियों को भी फायदा होगा।