Jharkhand में हेमंत सरकार ने स्थानीय नौकरियों में क्षेत्रीय भाषाओं की जगह संबंधी विवाद को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। धनबाद और बोकारो में क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से मगही और भोजपुरी को बाहर रखने का फैसला अंतिम रूप से कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि स्थानीय लोगों एवं सियासी कार्यकर्ताओं के विरोध को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है। अन्य जिलों में क्षेत्रीय भाषाओं को पूर्व के क्रम में ही स्थान दिया गया है। इसको लेकर कार्मिक विभाग की ओर से नए सिरे से अधिसूचना जार करने की सूचना मिल रही है। नयी अधिसूचना लागू होने के साथ ही क्षेत्रीय भाषा के तौर पर भोजपुरी महज पलामू और गढ़वा में शामिल होगी। मगही को लातेहार, पलामू, गढ़वा एवं चतरा में क्षेत्रीय भाषा के तौर पर रखा गया है।
कांग्रेस से सीएम ने किया व्यापक विमर्श
ऐसा बताया जा रहा है कि फैसला लेने के पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को विश्वास में लिया। उनसे व्यापक विमर्श के बाद ही यह कदम उठाया गया। गौरतलब है कि सरकार के इस निर्णय का विरोध मंत्रिमंडल में शामिल जगरनाथ महतो भी कर रहे थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 18 फरवरी की देर शाम को सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश पर राज्य सरकार ने बोकारो एवं धनबाद में क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से मगही एवं भोजपुरी को अलग कर दिया है।