Jharkhand में सुरक्षाबलों को 25 फरवरी को बड़ी कामयाबी हासिल हुई यह नक्सल विरोधी अभियान की बड़ी उपलब्धि है। 25 लाख के इनामी नक्सली विमल यादव उर्फ उमेश यादव उर्फ राधेश्याम ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। रांची के डोरंडा स्थित प्रक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में झारखंड पुलिस, CRPF, झारखंड जगुआर व कोबरा बटालियन के आला अधिकारियों के सामने कुख्यात उग्रवादी ने हथियार डाल दिए। वह वर्ष 1993 में नक्सल संगठन से जुड़ा था। दस्ते में कोरियर बॉय के रूप में अपने काम की शुरूआत की। देखते ही देखते वह कुख्यात नक्सली बन गया। बिहार-झारखंड में इसके खिलाफ कुल 24 मामले दर्ज थे। 14 बड़े कांड में यह शामिल रहा।
मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिले का है रहने वाला विमल
मूल रूप से सलेमपुर थाना करौना जिला जहानाबाद बिहार का रहने वाला विमल यादव नक्सली संगठन के नेता अरविंदम के साथ संगठन में शामिल हुआ था। वर्तमान में माओवादियों के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ के इलाके में विमल का बड़ा खौफ कायम हो गया था। यह उग्रवादी वर्ष 2005 में सब जोनल कमांडर बना।
2009 में बना था जोनल कमांडर
2009 में जोनल कमांडर बना। 2011 में रीजनल सदस्य बना। 2014 में SAC सदस्य बना। दिसंबर 2018 में प्लाटून ERB बना । 2019 में सुधाकरण के जाने के बाद प्लाटून का चार्ज लिया। उमेश यादव के घर का नाम राधेश्याम यादव था। जब संगठन से जुड़ा तो विमल यादव नाम दिया गया। वर्ष 1993 में वह इंटर का छात्र था। उस समय चचेरे भाई रामबालक प्रसाद यादव एवं बेचन यादव के साथ जमीन विवाद हुआ। इस वजह से वह मजदूर किसान संग्राम समिति में काम करने लगा। धीरे-धीरे वह उग्रवादियों के करीब होता चला गया।
लक्ष्य से भटक गया है संगठन
आत्मसमर्पण करने के बाद विमल ने बताया कि बताया कि संगठन लक्ष्य से भटक गया है। वह अपनी पारिवारिक परेशानियों के कारण सिद्धांतों से प्रभावित होकर संगठन से जुड़ा, लेकिन यह संगठन अपनी दिशा से भटक गया। वर्तमान में भाकपा माओवादी शोषण करने वाली और लेवी वसूलने वाली पार्टी हो गई है।