Ranchi news : राग अधरतिया को राष्ट्रीय फलक तक पहुंचाने वाले नागपुरी गायक, कवि और जाने-माने लोक कलाकार गोबिंद शरण का 70 वर्ष की आयु में गुरुवार की सुबह निधन हो गया। वे लोहरदगा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत ईटा गांव के रहने वाले थे और कुछ महीने से लकवा से पीड़ित थे। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर है। नागपुरी गीत-संगीत को लोहरदगा जैसे छोटे से जिले से निकालकर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह तक पहुंचाने का काम किया। वह लगातार नागपुरी गीत-संगीत और कला के लिए समर्पित रहे।
देशभर में दी प्रस्तुति, झारखंड का बढ़ाया मान
एक कलाकार के रूप में उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी प्रस्तुति से नागपुरी भाषा का मान बढ़ाया। वर्ष 1992 में अंडमान निकोबार में आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय भाषा सम्मेलन में उन्होंने नागपुरी का प्रतिनिधित्व किया था। वहीं, 1994 में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के राष्ट्रीय एकता शिविर कार्यक्रम, 1996 में पटना में राष्ट्रीय स्तर के लोक संगीत सह नृत्य समारोह, 1999 में बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित छोटानागपुर महोत्सव, 2000 में हस्तिनापुर में आयोजित भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में इन्होंने अपनी गायकी और प्रतिभा का लोहा मनवाया था। 2000 में ही रांची में आयोजित चतुर्थ वनवासी क्रीड़ा महोत्सव के नागपुरी लोकगीत के वह महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
झारखंड विभूति से आकृति सम्मान तक
नागपुरी लोकगीत गायन, लेखन और नृत्य के लिए इन्हें कई पुरस्कारों और मान पत्रों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें आकृति सम्मान-2002, पीटर नवरंगी साहित्य सम्मान 2010, झारखंड विभूति 2012 आदि शामिल हैं। मान-पत्रों में वर्ष 1992 में यूथ हास्टल एसोसिएशन आफ इंडिया नई दिल्ली द्वारा दिया गया मान-पत्र, बिहार सरकार द्वारा 1996 में और सुर तरंगिनी सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था पटना द्वारा दिया गया मान-पत्र शामिल है।